Birbhum Violence: उच्च न्यायालय ने बीरभूम मामले में सीबीआई जांच का दिया आदेश, बंगाल सरकार से सहयोग करने को कहा
बीरभूम में जले हुए मकान (Photo Credits: ANI)

कोलकाता, 25 मार्च : बीरभूम की हिंसा को समाज की चेतना को झकझोर देने वाला बताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सीबीआई को राज्य पुलिस से मामले की जांच अपने हाथ में लेने और सुनवाई की अगली तारीख पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अदालत ने बुधवार को मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. अदालत ने कहा कि तथ्य और परिस्थितियों की मांग है कि न्याय के हित और समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जाए. अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम सीबीआई को निर्देश देते हैं कि वह मामले की जांच तुरंत अपने हाथ में ले और सुनवाई की अगली तारीख पर प्रगति रिपोर्ट हमारे सामने पेश करे.’’ इस मामले पर अब सात अप्रैल को सुनवाई होगी. बीरभूम जिले के रामपुरहाट कस्बे के पास बोगतुई गांव में 21 मार्च को तड़के कुछ मकानों में कथित तौर पर आग लगा देने से बच्चों और महिलाओं समेत आठ लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी.

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना के ‘‘देशव्यापी प्रभाव’’ को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार से केंद्रीय एजेंसी को पूर्ण सहयोग देने को कहा. राज्य पुलिस या सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को इस मामले में आगे कोई जांच नहीं करने का निर्देश देते हुए, पीठ ने आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा सभी दस्तावेजों के साथ-साथ मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों और संदिग्धों को केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया जाए. अदालत ने एसआईटी जांच में कमियों का ब्योरा दिए बिना कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए उम्मीद के मुताबिक जांच नहीं की गई.’’ पीठ ने मामले की केस डायरी की बारीकी से जांच करने के बाद कहा कि उसने पाया है कि 22 मार्च को एसआईटी का गठन किया गया था, लेकिन अब तक जांच में एसआईटी का कोई प्रभावी योगदान नहीं नजर आया है.

अदालत ने कहा कि एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को जांच सौंपने के लिए त्वरित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि सबूत मिटाने के प्रयास का आरोप है. पीठ ने कहा कि उसने एजेंसी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाई जे दस्तूर द्वारा प्रस्तुत निवेदन पर ध्यान दिया कि सीबीआई को जांच करने में कोई कठिनाई नहीं हुई. स्वत: संज्ञान लिए गए मामले के अलावा, एक स्वतंत्र एजेंसी को जांच के आदेश के अनुरोध वाली पांच जनहित याचिकाओं पर अदालत ने सुनवाई की. पीठ ने बुधवार को केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल), दिल्ली को बोगतुई गांव में जघन्य अपराध की जगह से फॉरेंसिक जांच के लिए नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया था. राज्य पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में बताया था कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पंचायत अधिकारी भादु शेख की हत्या के एक घंटे के भीतर ही घरों में आग लग गई थी. एक याचिकाकर्ता ने कहा है कि संबंधित थाना घटना स्थल के बहुत पास है, लेकिन कोई अधिकारी समय पर नहीं पहुंचा और जलते घरों के अंदर फंसे लोगों को कोई मदद नहीं की. यह भी पढ़ें : मैं, आदित्यनाथ योगी, ईश्वर की शपथ लेता हूं कि…लगातार दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने Yogi Adityanath

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि यह घटना राज्य में सत्तारूढ़ दल से जुड़े गुंडों के कहने पर हुई थी और यहां तक कि दमकल कर्मियों को भी गांव में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. एक याचिकाकर्ता ने आशंका व्यक्त की है कि एसआईटी की जांच केवल दोषियों को खोजने या सच्चाई का पता लगाने के बजाय मामले पर पर्दा डालने के लिए की जाएगी. याचिकाकर्ताओं ने एसआईटी के प्रमुख ज्ञानवंत सिंह की आजादी और निष्पक्षता पर भी संदेह जताया, जो राज्य पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (सीआईडी) हैं. अदालत ने कहा कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राज्य की जांच एजेंसियां ठीक से जांच नहीं कर रही हैं और यह जरूरी है कि पीड़ितों के परिवारों के साथ न्याय किया जाए.

अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता एस एन मुखर्जी ने कहा कि सरकार द्वारा गठित एसआईटी जरूरी काम कर रही है और मामले में गिरफ्तारियां भी की गई हैं. उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पार्टी को जांच सीबीआई को सौंपे जाने पर कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि, घोष ने कहा, अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘‘बड़ी साजिश से संबंधित पहलुओं को छिपाने का प्रयास करती है’’ तो टीएमसी विरोध प्रदर्शन करेगी.