देश की खबरें | फिल्मों की पूर्व-सेंसरशिप से जुड़ा मुद्दा उठाने वाली याचिका पर सुनवाई जनवरी में

नयी दिल्ली, 19 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह उस याचिका पर जनवरी में सुनवाई करेगा, जिसमें फिल्मों की पूर्व-सेंसरशिप से जुड़ा मुद्दा उठाया गया है।

अप्रैल 2017 में शीर्ष अदालत ने अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से जवाब तलब किया था।

मामला न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि मामले में दलीलें पूरी हो चुकी हैं।

उन्होंने कहा, “हम सम्मानपूर्वक दलील देते हैं कि वृत्तचित्र सिनेमैटोग्राफ के दायरे में नहीं आते हैं, जैसा कि अधिनियम (सिनेमैटोग्राफ अधिनियम) के तहत परिभाषित किया गया है।”

जब याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका में किए गए अनुरोध का जिक्र किया, तो पीठ ने कहा कि यह फिल्मों की पूर्व-सेंसरशिप से भी संबंधित है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार ने पिछले साल अगस्त में सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम-2023 को अधिसूचित किया था, लेकिन यह याचिका में उठाए गए मुद्दों का समाधान नहीं करता है।

उन्होंने पीठ से मामले की सुनवाई जनवरी में करने का अनुरोध किया और कहा कि वह एक संक्षिप्त लिखित सारांश रिकॉर्ड में रखेंगे।

याचिका में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के कई प्रावधानों को चुनौती दी गई है और कहा गया है कि इंटरनेट के युग में फिल्मों की पूर्व-सेंसरशिप अप्रासंगिक है।

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