जयपुर, चार अक्तूबर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने सोमवार को कहा कि राज्यपाल राहत कोष का उद्देश्य सिर्फ धन संग्रहण नहीं बल्कि ऐसे जरुरतमंदों की सहायता करना है, जिन्हें किसी दूसरी जगह से मदद नहीं मिल पा रही है।
मिश्र ‘राज्यपाल राहत कोष’ सलाहकार समिति के सदस्यों की बैठक को राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अधिकाधिक पात्र लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से ‘राज्यपाल राहत कोष’ का दायरा बढ़ाया गया है। अब इसके माध्यम से अकाल, बाढ़, दुर्घटना, प्राकृतिक आपदाओं में लोगों की सहायता, महामारी में औषधि व उपकरण के लिए सहायता, गंभीर रोगियों को इलाज के लिए एक मुश्त सहायता, भूतपूर्व सैनिकों के आश्रितों को गंभीर बीमारी में सहायता के साथ विपदा-ग्रस्त स्थितियों में असहाय बालक-बालिकाओं की चिकित्सा, भोजन व रख-रखाव के लिए भी मदद दी जा रही है।
ऑनलाइन उपस्थित भामाशाहों ने ‘राज्यपाल राहत कोष’ को मिलने वाली दान राशि को सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) गतिविधियों में शामिल करवाने का सुझाव दिया, इस पर सकारात्मक दृष्टि से कार्य किए जाने के सम्बन्ध में भी बैठक में विचार किया गया।
मिश्र ने कहा कि जरुरतमंदों को आर्थिक सहायता के साथ ही अन्य स्तरों पर मदद पहुंचाने का काम इस कोष के जरिए अब संभव हो रहा है। कोरोना काल में भी जरुरतमंदों की मदद करने में राज्यपाल राहत कोष की प्रभावी भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि कोष के संग्रहण में गत दो वर्षों में आशातीत वृद्धि हुई है। 2020-21 में इस कोष में 54 लाख रुपए का धन संग्रहण हुआ, जो वित्त वर्ष 2021-22 में सितम्बर 2021 तक बढ़कर 1 करोड़ 85 लाख रुपए तक हो गया है।
उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों के सुझावों के आधार पर राज्यपाल राहत कोष में दान को 50 प्रतिशत कर छूट के बजाय सौ प्रतिशत कर छूट की श्रेणी में लाने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा गया है। राज्यपाल के आह्वान पर समिति के सदस्य सुखराज नाहर ने 21 लाख रुपए तथा बैठक में उपस्थित अन्य सदस्यों ने 5-5 लाख रुपए की राशि राज्यपाल राहत कोष में देने की घोषणा की।
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