नयी दिल्ली, 29 जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न के आरोपों से स्कूल वैन के चालक को बरी किए जाने के खिलाफ दायर सरकार की याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने तीन और चार वर्ष की पीड़ितों की गवाही पर गौर किया। अदालत ने कहा कि गवाही से किसी भी प्रकार के गंभीर यौन उत्पीड़न का संकेत नहीं मिला है।
पीठ ने कहा, “...दोनों पीड़ितों की गवाही को ध्यान में रखते हुए, हमारा मानना है कि सरकार ऐसा कोई मामला नहीं बना पाई, जो हमें अपील की अनुमति देने के लिए बाध्य करे।”
अदालत ने राज्य को अपील करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।
अपील करने की अनुमति एक अदालत द्वारा किसी पक्ष को उच्च न्यायालय में किसी फैसले को चुनौती देने के लिए दी जाने वाली एक औपचारिक अनुमति होती है।
व्यक्ति के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत के आदेश में कोई खामी नहीं है और उसने दोनों पीड़ितों की गवाही पर गौर करने के बाद उनके मुवक्किल को बरी किया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी एक स्कूल वैन का चालक था और दोनों नाबालिग लड़कियां उसकी वैन में स्कूल जाती थीं। आरोप था कि चालक ने उन दोनों का यौन उत्पीड़न किया था।
निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि बच्चियों की गवाही पर विश्वास नहीं किया जा सकता और उनकी कम उम्र को ध्यान में रखते हुए इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्हें ऐसा कहने के लिए सिखाया-पढ़ाया गया हो।
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