जरुरी जानकारी | मोटे अनाज का निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार विदेश में भारतीय दूतावासों से मदद लेगी

नयी दिल्ली, 10 नवंबर सरकार ने मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए एक रणनीति तैयार की है जिसमें विदेशों में भारतीय दूतावासों के साथ-साथ वैश्विक खुदरा सुपरमार्केट कैरफोर एवं वॉलमार्ट को साथ लेने की बात शामिल है।

रणनीति के हिस्से के रूप में, विदेशों में भारतीय दूतावासों को घरेलू मोटे अनाजों की ब्रांडिंग और प्रचार के लिए, शामिल किया जाएगा।

दूतावासों को संभावित खरीदारों की पहचान करने के लिए भी कहा जाएगा जैसे कि डिपार्टमेंटल स्टोर, सुपरमार्केट और हाइपरमार्केट। उन्हें बिजनेस-टू-बिजनेस (बी 2 बी) बैठकें आयोजित करने एवं भारतीय मोटे अनाज के लिए सीधी साझेदारी कायम करने के लिए कहा जायेगा।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि प्रचार रणनीति के तहत प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खुदरा सुपरमार्केट जैसे लुलु समूह, कैरफोर, अल जजीरा, अल माया, वॉलमार्ट को भी मोटे अनाज की ब्रांडिंग और प्रचार के मकसद से ‘मिलेट कॉर्नर’ स्थापित करने के लिए साथ लिया जाएगा।

यह पहल संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने की पृष्ठभूमि में आई है।

इस प्रयास का उद्देश्य भारतीय मोटे अनाज के साथ-साथ इसके मूल्यवर्धित उत्पादों को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाना है।

भारत के शीर्ष पांच बाजरा उत्पादक राज्य - राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश हैं।

बाजरे के निर्यात का हिस्सा कुल मोटे अनाज उत्पादन का एक प्रतिशत है। भारत से मोटे अनाज के निर्यात में मुख्य रूप से साबुत अनाज शामिल है और भारत से मोटे अनाज के मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात नगण्य है।

हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि मोटे अनाज का बाजार अपने नौ अरब डॉलर के मौजूदा आकार से बढ़कर 2025 तक 12 अरब डॉलर से अधिक का हो जाएगा।

मोटा अनाज कैल्शियम, आयरन और फाइबर से भरपूर होता है।

दुनिया में प्रमुख मोटे अनाज आयात करने वाले देश इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मेक्सिको, इटली, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील और नीदरलैंड हैं।

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