जरुरी जानकारी | वैश्विक दरों, बाजार भाव से अधिक हैं फसलों के एमएसपी; टिकाऊ समाधान खोजने की जरूरत: गडकरी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कृषि फसलों के लिए सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घरेलू बाजार मूल्य और अंतरराष्ट्रीय दरों के मुकाबले कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि किसी तरह की आर्थिक समस्या उत्पन्न होने से पहले इसका कोई वैकल्पिक समाधान खोजना जरूरी है।
नयी दिल्ली, 11 जून केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कृषि फसलों के लिए सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घरेलू बाजार मूल्य और अंतरराष्ट्रीय दरों के मुकाबले कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि किसी तरह की आर्थिक समस्या उत्पन्न होने से पहले इसका कोई वैकल्पिक समाधान खोजना जरूरी है।
गडकरी ने एक वेबिनार में कहा, ‘‘इस क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण समस्या यह है कि कृषि वस्तुओं के अंतरराष्ट्रीय व बाजार मूल्य और एमएसपी के बीच बहुत बड़ा अंतर है। यह देश के लिए एक बड़ी आर्थिक दिक्कत पैदा कर सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसके लिए कुछ विकल्प तलाशने होंगे और कृषि क्षेत्र में इस मुद्दे का हल निकाले बिना, हम अपनी अर्थव्यवस्था को गति नहीं दे सकते।’’
उन्होंने कहा कि देश के पास अतिरिक्त मात्रा में चावल और गेहूं का भंडार है, लेकिन इनके भंडारण की समस्या है।
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गडकरी ने कहा कि उन्होंने चावल को इथेनॉल या बायो-इथेनॉल में बदलने की नीति बनाने का सुझाव दिया है।
उन्होंने बुधवार को प्रधानमंत्री के प्रमुख सलाहकार पी के सिन्हा और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, कृषि, तेल, गैर-पारंपरिक ऊर्जा और एमएसएमई के सचिवों सहित शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में यह सुझाव दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में हमारा इथेनॉल उत्पादन 20,000 करोड़ रुपये का है और आयात 6-7 लाख करोड़ रुपये का होता है। इसलिए अब हम एक लाख करोड़ रुपये की इथेनॉल अर्थव्यवस्था बनाने की योजना बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के 200 बंद कारखाने हैं जिन्हें जैव इथेनॉल उत्पादन के लिए रूपांतरित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, फसल के पैटर्न को बदलने और गेहूं व धान खेती के रकबे को कम करने की आवश्यकता है।
गडकरी ने कहा, ‘‘पंजाब और हरियाणा में, हमारे पास भंडारण के लिए भी जगह नहीं है ... तो यह देश के लिए एक बुरी स्थिति है। एक तरफ, हमारे पास अन्न का अतिरिक्त भंडार है और दूसरी तरफ, हमारे पास भंडारण के लिए जगह नहीं है।”
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारत 90,000 करोड़ रुपये के भारी मात्रा में खाद्य तेल का आयात करता है क्योंकि भारत का तिलहन उत्पादन अपेक्षानुकूल नहीं है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और ब्राजील में प्रति एकड़ सोयाबीन का उत्पादन क्रमशः 30 क्विंटल और 27-28 क्विंटल है, लेकिन भारत में यह सिर्फ 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ है।
उन्होंने कहा कि उच्च उत्पादकता के लिए देश में गुणवत्ता वाले तिलहन पर शोध की आवश्यकता है।
जलमार्गों के विकास पर, उन्होंने कहा कि दिल्ली-मथुरा-आगरा-इटावा-इलाहाबाद-वाराणसी जलमार्ग बनाने के लिए विश्व बैंक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।
इसके अलावा, मंत्री ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों में भीड़भाड़ को कम करने तथा स्मार्ट शहरों एवं गांवों को विकसित करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने की जरूरत है क्योंकि निवेशक यहां निवेश करने को इच्छुक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगले दो वर्षों के लिए मेरा लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये की सड़कें बनाने का है और हमने इसके लिए विदेशी ऋण प्राप्त करने के लिए एक विदेशी बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं ... मेरे साथ 480 परियोजनाएं पहले से हैं। टोल आय प्रति वर्ष 28000 करोड़ रुपये की है। मार्च के अंत तक मुझे इस आय के 40,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है और पांच साल के भीतर हमारे एनएचएआई की टोल आय एक लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) में एफडीआई की अनुमति दी जा सकती है और ‘मुझे लगता है कि यह एक अच्छा रास्ता हो सकता है। ’’
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