देश की खबरें | गीता प्रेस सिर्फ प्रेस नहीं, साहित्य का मंदिर है : रामनाथ कोविंद

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), चार जून राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि ‘गीता प्रेस सिर्फ एक प्रेस नहीं है, साहित्य का एक मंदिर है।’

राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को यहां गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह में कहा, ''मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति की एक अवधारणा रही है कि एक प्रेस होगा, लेकिन आज देखने को मिला कि गीता प्रेस सिर्फ प्रेस नहीं है, साहित्य का एक मंदिर है।'' उन्होंने कहा, ''सनातन धर्म को बचाये रखने में हमारे मंदिरों, तीर्थ स्थलों का जितना योगदान है, उतना ही योगदान गीता प्रेस से प्रकाशित साहित्य का है।''

गौरतलब है कि गीता प्रेस सर्वाधिक हिंदू धार्मिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाली संस्था है। गोरखपुर शहर में स्थापित गीता प्रेस में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन और मुद्रण होता है। गीता प्रेस की स्थापना 1923 में गीता मर्मज्ञ जयदयाल गोयन्दका ने किया था।

राष्ट्रपति ने कहा, ''मेरा सौभाग्य है कि गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल हो रहा हूं, यह पिछले जन्मों के कुछ पुण्य का फल है कि मुझे यहां समारोह में आने का मौका मिला।''

कोविंद ने कहा, ‘‘यहां आने से पहले मुझे गीता प्रेस के कर्मचारियों से मिलने का अवसर मिला। इस प्रेस के लिए जो मैंने उनकी निष्ठा, ईमानदारी और सद्भावना देखी वह अद्वितीय थी।'' उन्होंने गीता प्रेस के लीला चित्र मंदिर की भी खूब सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस संसार में जो बड़े कार्य होते हैं, उसके पीछे दैवीय शक्तियां होती हैं और गीता प्रेस को आगे ले जाने में हनुमान प्रसाद पोद्दार की अहम भूमिका है। कोविंद ने गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयन्दका को स्मरण किया और यह भी बताया कि हनुमान प्रसाद पोद्दार ने जयदयाल जी से प्रेस स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने कहा, ‘‘धर्म और शासन दोनों एक-दूसरे के साथ चलते हैं, दोनों एक-दूसरे के पूरक होते हैं और आज वह दृश्य यहां देखने को मिल रहा है।’’

कोविंद ने कहा, ‘‘योगी (आदित्यनाथ) इस प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी। एक व्यक्ति में दोनों समाहित होना बहुत बड़ी बात है।’’

गीता प्रेस का इतिहास बताते हुए राष्ट्रपति ने उसकी सराहना की और कहा कि गीता प्रेस ने हिंदू धार्मिक प्रसंगों को जनमानस तक पहुंचाया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘आज हम सबके लिए गौरवशाली क्षण है, जब सनातन हिंदू धर्म के प्रकाशन का सबसे प्रमुख केंद्र (गीता प्रेस)... जिसने 100 वर्षों में 90 करोड़ से अधिक सनातन हिंदू धर्म से संबंधित ग्रंथों का प्रकाशन कर देश और धर्म की सराहनीय सेवा की है।’’

उन्होंने कहा कि 1923 में मात्र 10 रुपये किराये के भवन में जयदयाल गोयन्दका ने गीता प्रेस की स्थापना की और यह विशाल वटवृक्ष बनकर धर्म और संस्कार के साथ—साथ देश की सेवा कर रहा है।

योगी ने कहा, ‘‘1955 में इस संस्था के मुख्य द्वार का उद्घाटन करने के लिए उस समय के राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद विशेष रूप से पधारे थे और आज देश के राष्ट्रपति कोविंद जी का सानिध्य मिल रहा है और आज ही शताब्दी वर्ष का शुभारंभ हो रहा है।’’

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में शताब्दी समारोह की शुभकामना दी और कहा कि मानव जीवन में धर्म, कर्म और ज्ञान का महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत में घर—घर गीता और रामचरितमानस पहुंचाने का श्रेय गीता प्रेस को जाता है।

योगी ने इस मौके पर 'श्रीमद भगवत गीता' और 'रामचरितमानस' का लोकार्पण किया और इन ग्रंथों को राष्ट्रपति और देश की प्रथम महिला सविता कोविंद को भेंट किया। उन्होंने गुजराती में छपी गीता और राम चरित मानस राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेंट किया।

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