G7 Summit: पीएम मोदी ने कहा, प्रौद्योगिकी पर एकाधिकार को व्यापक उपयोग में बदलने की जरूरत
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बारी (इटली), 14 जून : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक समुदाय को समावेशी समाज की नींव रखने और सामाजिक असमानताओं को खत्म करने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी में एकाधिकार को व्यापक उपयोग में तब्दील करने की दिशा में काम करना चाहिए. मोदी ने इटली के अपुलिया क्षेत्र में जी-7 शिखर सम्मेलन के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत कृत्रिम मेधा (एआई) को पारदर्शी, निष्पक्ष, सुरक्षित, सुलभ और जिम्मेदार बनाने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम करेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण चार सिद्धांतों - उपलब्धता, सुलभता, वहनीयता और स्वीकार्यता पर आधारित है.

उन्होंने ‘ग्लोबल साउथ’ के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि वे वैश्विक अनिश्चितताओं और तनावों का खामियाजा भुगत रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व मंच पर रखना अपनी जिम्मेदारी माना है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इन प्रयासों में हमने अफ्रीका को उच्च प्राथमिकता दी है. हमें गर्व है कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 ने अफ्रीकी संघ को अपना स्थायी सदस्य बनाया है.’’

मोदी ने कहा, ‘‘भारत अफ्रीका के सभी देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास, स्थिरता और सुरक्षा में योगदान देता रहा है तथा भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा.’’ संवाद सत्र में अपने संबोधन में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान एआई और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर प्रधानमंत्री मोदी की पहल की प्रशंसा की. यह भी पढ़ें : Maharashtra: प्याज के मुद्दे पर नासिक, पुणे व सोलापुर में महायुति को उठाना पड़ा नुकसान- अजीत पवार

अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने संबोधन में ब्राजील, अर्जेंटीना और भारत को खनिज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदार बताया.

प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एकाधिकार समाप्त करने के महत्व पर विस्तार से बात की और कृत्रिम मेधा पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "हमें सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रौद्योगिकी का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचे, समाज के प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता का एहसास हो, सामाजिक असमानताओं को दूर करने में मदद मिले और मानव शक्तियों को सीमित करने के बजाय उनका विस्तार किया जाए." उन्होंने कहा, "यह न केवल हमारी इच्छा होनी चाहिए, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी होनी चाहिए. हमें प्रौद्योगिकी में एकाधिकार को व्यापक उपयोग में बदलना होगा."

मोदी ने कहा, ‘‘हमें प्रौद्योगिकी को रचनात्मक बनाना होगा, विघटनकारी नहीं. तभी हम समावेशी समाज की नींव रख पाएंगे. भारत इस मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से बेहतर भविष्य के लिए प्रयास कर रहा है.’’ उन्होंने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी की शताब्दी है और मानव जीवन का शायद ही कोई ऐसा पहलू हो जो प्रौद्योगिकी के प्रभाव से अछूता हो. प्रधानमंत्री ने कहा, “एक ओर जहां प्रौद्योगिकी मनुष्य को चांद पर ले जाने का साहस देती है, वहीं दूसरी ओर यह साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियां भी पैदा करती है.

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मोदी ने कहा कि भारत कृत्रिम मेधा को लेकर राष्ट्रीय रणनीति तैयार करने वाले शुरुआती कुछ देशों में शामिल है. उन्होंने कहा, ‘‘इसी रणनीति के आधार पर हमने इस वर्ष ‘एआई मिशन’ की शुरुआत की है और इसका मूल मंत्र है ‘सभी के लिए एआई’.’’ उन्होंने कहा, "एआई के लिए वैश्विक साझेदारी के संस्थापक सदस्य रूप में हम सभी देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं." प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष भारत द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में दिल्ली ने एआई के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय शासन-प्रणाली के महत्व पर जोर दिया था. उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य में भी हम एआई को पारदर्शी, निष्पक्ष, सुरक्षित, सुलभ और जिम्मेदार बनाने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे.’’

भारत के मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) का उल्लेख करते हुए उन्होंने वैश्विक समुदाय से विश्व पर्यावरण दिवस पर उनके द्वारा शुरू किए गए वृक्षारोपण अभियान - "प्लांट4मदर" (एक पेड़ मां के नाम) में शामिल होने और इसे व्यक्तिगत स्पर्श और वैश्विक जिम्मेदारी के साथ एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘हम 2070 तक ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. हमें मिलकर आने वाले समय को 'हरित युग' बनाने का प्रयास करना चाहिए.’’ प्रधानमंत्री ने हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण पर भी जोर दिया.