मुंबई, आठ जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि नीतिगत दर को लेकर आने वाले समय में कदम परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि के बाद उन्होंने यह बात कही।
दास ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख में बदलाव किया है और इसमें ‘उदार रुख बरकरार’ रखने की शब्दावली को ‘प्रोत्साहन उपाय वापस लेने’ से बदला है।
उन्होंने कहा कि अटकलों के विपरीत केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि नहीं की है। बैंकों से नकदी वापसी सोच-विचार कर और व्यवस्थिति तरीके से होगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि आर्थिक वृद्धि के लिये कर्ज देने को बैंकों के पास पर्याप्त नकदी उपलब्ध होगी।
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और वैश्विक चिंताओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये बेहतर स्थिति में है। साथ ही उन बैंकों से भी समर्थन मिलेगा जिनके पास पर्याप्त पूंजी है, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां यानी फंसा कर्ज कम है तथा ऋण के एवज में प्रावधान का स्तर ऊंचा है।
आरबीआई के 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किये जाने के बारे में गवर्नर ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि केंद्रीय बैंक के कदमों से महंगाई को नीचे लाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि आरबीआई अचानक से कोई उतार-चढ़ाव वाला कदम नहीं उठाना चाहता जिससे मुद्रास्फीति और बाजारों पर प्रतिकूल असर पड़े।
दास ने कहा कि कर्ज लेने की गति सुधरी है और यह अब 12 प्रतिशत पर पहुंच गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को आपूर्ति व्यवस्था में सुधार को लेकर और कदम उठाने चाहिए, उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविकताओं से अवगत है और उपयुक्त कदम उठाएगी।
दास ने कहा कि आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी समेत विभिन्न मामलों में सरकार के लगातार संपर्क में है और केंद्र की तरफ से परिचर्चा पत्र जारी होने का इंतजार करेगा।
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