जरुरी जानकारी | एफआरएआई की सरकार से किराना स्टोर को प्रौद्योगिकी समर्थन उपलब्ध कराने की मांग

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर भारतीय खुदरा विक्रेताओं के संघों के महासंघ (एफआरएआई) ने सरकार से किराना स्टोर को बेहतर प्रौद्योगिकी मंच उपलब्ध कराने की मांग की है। खुदरा विक्रेताओं के संगठन ने कहा है कि ऐसे होने पर किराना स्टोर त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।

एफआरएआई ने कहा, ‘‘इस तरह के समर्थन से किराना स्टोर स्विगी इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट या जेप्टो जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा उनके क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण के बीच प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलेगी।’’

एफआरएआई का कहना है कि वह देशभर के लगभग 80 लाख सूक्ष्म, लघु और मझोले खुदरा विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें 42 खुदरा संघों की सदस्यता है।

स्थानीय किराना स्टोर को प्रौद्योगिकी मंच प्रदान करने से वे क्विक कॉमर्स कंपनियों के साथ समान शर्तों पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे, जिससे प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा का एक समान स्तर तैयार होगा।

एफआरएआई के मानद प्रवक्ता अभय राज मिश्रा ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) जैसी नई प्रौद्योगिकियों को लाये जाने के साथ अब किराना दुकानों के लिए एक विशिष्ट समाधान लाने की ओर अधिक केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो उन्हें ग्राहकों द्वारा की जाने वाली खोज और उनतक पहुंच को सुलभ बना सके। ठीक उसी तरह जिस तरह से त्वरित वाणिज्य कंपनियां काम कर रही हैं।’’

मिश्रा, जो इंडियन सेलर्स कलेक्टिव के सदस्य और राष्ट्रीय समन्वयक भी हैं, ने कहा, ‘‘अनिवार्य रूप से, किराना स्टोर को बढ़ते डिजिटल बाजार का लाभ उठाने और नए ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सशक्त होकर प्रतिस्पर्धी बने रहना चाहिए।’’

लोकसभा सदस्य प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियों के उदय के कारण किराना स्टोर कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दुकानदारों को अद्यतन रहना और ग्राहकों की बदलती अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सभी चैनल को अपनाना महत्वपूर्ण है।’’

एफआरएआई ने कहा कि क्विक कॉमर्स मंच के पास किराना स्टोर के मुकाबले ‘अनुचित मौके’ उपलब्ध हैं। किराना दुकानदार क्विक कॉमर्स दिग्गजों द्वारा दी जाने वाली भारी छूट से मेल नहीं खा सकता है, जिनकी कमाई अधिक है, जिनके पास बड़े-बड़े गोदाम और विशाल ग्राहक आधार जैसी लाभप्रद स्थिति होती हैं।

इसमें कहा गया है कि क्विक कॉमर्स कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप किराना दुकानदारों की बिक्री स्थिर हो गई है, खासकर त्योहारी सत्र जैसे उच्च मांग वाले समय में।

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