नयी दिल्ली, 10 मई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पिछले दो महीने से भारतीय बाजारों से पूंजी निकासी का सिलसिला बदल कर मई महीने के पहले सप्ताह में घरेलू पूंजी बाजार में 15,958 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश किये।
डिपॉजिटरी सेवा कंपनियों के ताजा आंकड़ों के अनुसार, एक मई से आठ मई के दौरान एफपीआई ने इक्विटी में 18,637 करोड़ रुपये लगाये। हालांकि उन्होंने बांड से 2,679 करोड़ रुपये की निकासी की। इस तरह आलोच्य अवधि के दौरान उन्होंने 15,958 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश किये।
इससे पहले एफपीआई लगातार दो महीने से भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालते आ रहे थे।
एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार से मार्च में 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक और अप्रैल में 15,403 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।
आर्थिक अध्ययन संस्थान मॉर्निंगस्टार इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक (शोध) हिमांशू श्रीवास्तव ने कहा, "वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोनो वायरस महामारी के संभावित प्रभाव के कारण कायम अनिश्चितता के बावजूद एफपीआई ने इस सप्ताह अपना रुख बदल दिया है।"
श्रीवास्तव ने कहा कि इस निवेश के लिये कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में कई अन्य देशों की तुलना में भारत के बेहतर प्रदर्शन को इसका कारण माना जा सकता है।
उन्होंने कहा, इसके अलावा, सरकार और रिजर्व बैंक के द्वारा द्वारा समय-समय पर अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये घोषित उपायों को भी निवेशकों ने सकारात्मक रूप से लिया है। हालांकि यह एफपीआई के निवेश पैटर्न में एक स्वागत योग्य बदलाव है, लेकिन यह छोटी अवधि की खरीदारी भी हो सकती है।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं ने उन निवेशकों के लिये जोखिम का माहौल पैदा कर दिया है, जो सुरक्षित निवेश की तलाश कर रहे हैं।
ग्रो के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) हर्ष जैन ने कहा, "अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा चीन के खिलाफ कार्रवाई की धमकी के कारण हम देख रहे हैं कि वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ रहा है। ऐसी खबरें वैश्विक निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित करती हैं।
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