मुंबई, नौ अप्रैल महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जा रही है।
न्यायमूर्ति जी.एस. पटेल आज विवेक पंडित की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन की अवधि में विभिन्न जिलों में रहने वाले गरीब आदिवासियों की स्थिति को लेकर चिंता जतायी गयी है।
अदालत जरुरी मामलों पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कर रही है जिसकी जूम ऐप पर ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ हो रही है।
याचिकाकर्ता के वकील नितिन प्रधान ने अदालत से कहा कि सरकार को आदिवासी छात्रों के लिए बने आवासीय स्कूलों ‘आश्रम शालाओं’ में रहने वाले बच्चों को भी भोजन और अन्य वस्तुएं मुहैया कराते रहना चाहिए।
सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता पी. ककडे ने अदालत को बताया कि दूध, अंडे, पका हुआ भोजन और अन्य जरुरी वस्तुओं की आपूर्ति पूरे राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में की जा रही है।
ककड़े ने कहा, ‘‘आपूर्ति भले ही पहले के स्तर पर ना हो, लेकिन आपूर्ति बाधित नहीं हुई है।’’
उन्होंने अदालत को बताया कि कुछ आश्रम शालाओं के बच्चे अपने घर लौट गए हैं और इन स्कूलों का इस्तेमाल फिलहाल प्रवासी मजूदरों के लिए आश्रय गृह के रूप में किया जा रहा है।
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