नयी दिल्ली, 23 दिसंबर एफएमसीजी उद्योग को 2025 में खपत वृद्धि में सुधार की उम्मीद है, और इसके कुछ संकेत पहले ही दिखाई दे रहे हैं।
उद्योग को बढ़ती लागत और खाद्य मुद्रास्फीति में दोहरे अंकों की वृद्धि के चलते 2024 में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में 2024 की दूसरी छमाही में शहरी बाजार में वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ गई।
पाम ऑयल, कॉफी, कोको और गेहूं जैसी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने एफएमसीजी कंपनियों को 3-5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने या पैक के आकार और वजन को कम करने के लिए मजबूर किया। इससे बिक्री की मात्रा में कमी का डर है।
निर्माताओं को आगामी आम बजट में भी मदद की उम्मीद है, जिसमें तनावग्रस्त मध्यम आय वर्ग की मदद के लिए कुछ घोषणाएं की जा सकती हैं। इसके अलावा अच्छे मानसून और ग्रामीण बाजार में सुधार से खपत को बढ़ावा मिलेगा।
इमामी के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हर्ष वी अग्रवाल ने कहा कि 2024 में एक बार फिर से खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने से खपत में बाधा उत्पन्न हुई है।
उन्होंने कहा कि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। उन्होंने कहा कि निम्न मध्य और मध्य वर्ग के बीच खपत कम रही है। औसत खुदरा खर्च का लगभग 75 प्रतिशत खाद्य और किराने की वस्तुओं पर खर्च किया गया है, जबकि विवेकाधीन खरीद के लिए केवल 25 प्रतिशत ही बचा।
डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा कि 2024 के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि और शहरी मांग में कमी मुख्य चिंताएं थीं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण मांग लगातार बढ़ रही है, और उम्मीद है कि नए साल में शहरी मांग में भी सुधार होगा।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुनील डिसूजा ने कहा कि वह 2025 को लेकर आशावादी हैं और लाभदायक वृद्धि को आगे पर पूरा ध्यान दे रहे हैं।
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