नयी दिल्ली, 29 मई राजस्व संग्रह कम रहने से देश का राजकोषीय घाटा 2019-20 में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 प्रतिशत रहा।
सरकार के राजस्व और व्यय के बीच अंतर को बताने वाला राजकोषीय घाटा पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान 3.8 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है।
महालेखा नियंत्रक के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के लिये राजकोषीय घाटा 4.59 प्रतिशत जबकि राजस्व घाटा 3.27 प्रतिशत रहा।
आंकड़ों के अनुसार प्रभावी राजस्व घाटा 2.36 प्रतिशत रहा।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में बजट पेश करते हुए 2019-20 में राजकोषीय घाटा 3.8 प्रतिशत रहने का संशोधित अनुमान जताया था जो मूल बजट के 3.3 प्रतिशत के अनुमान से अधिक था।
राजकोषीय घाटे में वृद्धि का मुख्य कारण 2019-20 में राजस्व संग्रह में कमी है। वर्ष के दौरान राजस्व प्राप्तियां संशोधित अनुमान के 90 प्रतिशत तक ही हो सकीं।
कुल मिला कर सरकार की प्राप्तियां 17.5 लाख करोड़ रुपये रहीं जबकि सशोधित बजट अनुमान 19.31 लाख करोड़ रुपये का था।
आंकड़ों के अनुसार सरकार का कुल व्यय 26.86 लाख करोड़ रुपये रहा जो पूर्व के 26.98 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से कुछ कम है।
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