मुंबई, 14 मई भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का राजकोषीय घाटा दोगुने से अधिक बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो सकता है।
रिपोर्ट में इससे पहले चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के मुकाबले 3.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान जताया गया था।
सरकार ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को राहत देने के लिए कुल मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय राहत पैकेज की घोषणा है, जो जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है।
एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा गया, ‘‘इन उपायों के चलते होने वाले नकदी व्यय के साथ ही पिछली और हालिया उत्पाद शुल्क वृद्धि और महंगाई भत्ते की वृद्धि पर रोक (जीडीपी का लगभग 0.8 प्रतिशत) को ध्यान में रखने पर, हमने अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य (अतिरिक्त बजटीय संसाधनों को छोड़कर) को वित्त वर्ष 2020-21 की संशोधित जीडीपी के मुकाबले 3.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया है। ऐसा कोविड-19 महामारी के चलते कम राजस्व और अधिक व्यय के मद्देनजर किया गया है।’’
रिपोर्ट में कहा गया कि सीएसओ के जीडीपी के पिछले अनुमानों पर आधारित मूल राजकोषीय घाटा करीब 7.1 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हमारा अनुमान है कि राजस्व में कमी या स्वचालित राजकोषीय स्थिरता के कारण राजकोषीय घाटे पर 4.5 प्रतिशत का सीधा असर पड़ेगा और जीडीपी में परिवर्तन के कारण 0.9 प्रतिशत का अप्रत्यक्ष असर होगा।’’
सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में पहले चरण में घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय प्रोत्साहन, विभिन्न मौद्रिक नीतिगत उपायो के जरिए दी गई 5.6 लाख करोड़ रुपये की राहत और दूसरे चरण में बुधवार तक घोषित 6.70 लाख करोड़ रुपये की राहत शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है संचयी वास्तविक राजकोषीय प्रभाव लगभग 1.14 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 0.6 प्रतिशत है।
सरकार ने लगभग 4.2 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 2.1 प्रतिशत) के अतिरिक्त उधार की घोषणा की है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)