जरुरी जानकारी | चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में राजकोषीय घाटा लक्ष्य के 52.5 प्रतिशत परः सरकारी आंकड़ा

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष (2024-25) के नवंबर महीने तक समूचे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 52.5 प्रतिशत रहा। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक, सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान लगभग 8.47 लाख करोड़ रुपये था।

यह वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित राजकोषीय घाटे लक्ष्य का 52.5 प्रतिशत है। केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत था।

सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 16,13,312 करोड़ रुपये पर सीमित रखना है।

2024-25 के पहले आठ महीनों के आंकड़ों से पता चला है कि केंद्र सरकार का शुद्ध कर राजस्व लगभग 14.43 लाख करोड़ रुपये था।

इस अवधि में केंद्र सरकार का कुल व्यय 27.47 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 56.9 प्रतिशत रहा। कुल व्यय में से 22.27 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते में और 5.13 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते में थे।

कुल राजस्व व्यय में से 6,58,494 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के कारण और 2,79,211 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के कारण हैं।

राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। यह सरकार की तरफ से आवश्यक कुल उधारी को बताता है।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पूंजीगत व्यय लक्ष्य में अपेक्षित कमी से विनिवेश और करों के कारण होने वाली किसी भी कमी की भरपाई होने की उम्मीद है। इसके साथ ही अनुदानों की अनुपूरक मांग का प्रभाव भी कम होगा।

इक्रा रेटिंग्स का मानना है कि ऐसी स्थिति में राजकोषीय घाटा 2024-25 के बजट अनुमान यानी जीडीपी के 4.9 प्रतिशत लक्ष्य से थोड़ा पीछे रह सकता है।

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