नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा समूचे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 37.3 प्रतिशत रहा है। एक आधिकारिक आंकड़े में सोमवार को यह जानकारी दी गई।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में राजकोषीय घाटा वास्तविक संदर्भों में 6,19,849 करोड़ रुपये रहा है। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा बजट अनुमान का 35 प्रतिशत था।
राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय एवं राजस्व के बीच के अंतर को दर्शाता है। यह आंकड़ा बताता है कि अप्रैल-सितंबर, 2022 की अवधि में सरकार की करों समेत कुल प्राप्तियां 12.03 लाख करोड़ रुपये रहीं जो वित्त वर्ष 2022-23 के बजट अनुमान का 52.7 प्रतिशत है।
एक साल पहले की समान अवधि में सरकार की कुल प्राप्तियां बजट अनुमान का 55.6 प्रतिशत रही थीं।
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में सरकार को करीब 10.11 लाख करोड़ रुपये का कर राजस्व मिला जो बजट अनुमान का 52.3 प्रतिशत है।
वहीं सरकार के व्यय आंकड़ों को देखें तो पहली छमाही में यह 18.23 लाख करोड़ रुपये रहा जो कुल बजट अनुमान का 46.2 प्रतिशत है। पिछले साल की पहली छमाही में यह आंकड़ा बजट अनुमान का 46.7 प्रतिशत रहा था।
वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार का राजकोषीय घाटा 16.61 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत होगा।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि पहली छमाही में पूंजीगत व्यय समूचे वित्त वर्ष के बजट लक्ष्य का 45.7 प्रतिशत रहा जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 41.4 प्रतिशत था।
सरकार के कुल राजस्व व्यय में से 4.36 लाख करोड़ रुपये सरकार को ब्याज भुगतान के मद में देने पड़े। इसके साथ ही 1.98 लाख करोड़ रुपये बड़ी सब्सिडी के मद में खर्च हुए।
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