बेंगलुरु, 21 दिसंबर भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), बेंगलुरु के निदेशक और सात प्रोफेसर के खिलाफ एक दलित एसोसिएट प्रोफेसर से जाति के आधार पर भेदभाव करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
एसोसिएट प्रोफेसर की शिकायत के आधार पर शुक्रवार को आईआईएम बेंगलुरु के निदेशक और दूसरे संकाय सदस्यों के खिलाफ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमें शिकायत मिली और मामला दर्ज किया गया। हालांकि, प्राथमिकी में नामजद लोगों ने दावा किया कि उन्होंने उसी शाम अदालत से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया है। लेकिन हमें अब तक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।"
नागरिक अधिकार प्रवर्तन निदेशालय (डीसीआरई) की एक जांच रिपोर्ट के आधार पर, समाज कल्याण विभाग ने राज्य पुलिस प्रमुख को उक्त एसोसिएट प्रोफेसर की शिकायत पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था।
पुलिस के अनुसार, आईआईएम बेंगलुरु के एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास ने आरोप लगाया कि आठ लोगों ने जानबूझकर कार्यस्थल पर उनकी जाति का जिक्र किया और उन्हें समान अवसरों से वंचित कर दिया गया।
उन्होंने धमकी दिए जाने और मानसिक रूप से परेशान करने का भी आरोप लगाया।
इससे पहले एक बयान में, आईआईएम बेंगलुरु ने दावा किया था कि उत्पीड़न या भेदभाव के बजाय, दास को 2018 में उनकी नियुक्ति के बाद से संस्थान से सभी प्रकार का समर्थन मिला है।
बयान में कहा गया है कि उन्होंने सहायक प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर की भूमिका की पेशकश की गई।
आईआईएम बेंगलुरु के अनुसार, संस्थान में नियुक्ति के बाद उन्हें भारत सरकार के 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर का वेतन मिला और उनके शोध व शिक्षण कार्यों के लिए महत्वपूर्ण प्रोत्साहन दिया गया।
बयान में कहा गया है कि उन्हें संस्थागत समीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष समेत विभिन्न जिम्मेदारी भरे पद दिए गए।
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