हावेरी (कर्नाटक), छह सितंबर कर्नाटक के मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा है कि कुछ किसान नेता और एसोसिशन अधिक मुआवजे की खातिर कृषकों की मृत्यु को ‘आत्महत्या’ के रूप में पेश कर रहे हैं और जब से किसानों के आत्महत्या करने पर उनके परिजनों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपये की गयी है तब से ऐसी घटनाओं की खबरें कुछ ज्यादा बढ़ गई हैं।
यहां एक बैठक की समीक्षा करने के बाद कृषि विपणन, कपड़ा और गन्ना विकास मंत्री पाटिल ने दावा किया कि एक घटना में यह साबित हुआ कि शराब पीने से हुई एक युवा की मौत को खुदकुशी के रूप में पेश किया गया।
मंत्री ने कहा, ‘‘ कुछ किसान एसोसिएशन के नेता कुछ राहत के लिए झूठी रिपोर्ट देते हैं।’’
उन्होंने कहा कि (किसानों की आत्महत्या के) असली मामलों में क्षतिपूर्ति प्रदान करना जिला प्रशासन और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और उस मोर्चे पर तो कोई गड़बड़ी नहीं है।
पाटिल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ आप इसबात पर प्रकाश डालिए कि 2015 से पहले कितने किसानों ने खुदकुशी की और 2015 के बाद ऐसी कितनी घटनाएं हो रही हैं। आपको निश्चित ही पता चल जाएगा। यह मानव की प्रवृति है। लोग गरीब हैं। उनमें एक स्वभाविक सोच है कि यदि उस तरह की क्षतिपूर्ति नहीं मिलती है तो उन्हें (इसे किसान की आत्महत्या बताकर) कुछ तो मिल ही सकती है। ऐसे में वे ऐसा प्रयास करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘2015 से पहले (किसानों के आत्महत्या कर लेने पर उनके परिजनों के लिए) मुआवजा बहुत कम था और यह दिया भी नहीं जाता था। उस वक्त कई मामले कभी रिपोर्ट नहीं किये जाते थे। 2015 के बाद जब हमने पांच लाख रुपये का मुआवजा देना शुरू किया तब किसानों की आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग बढ़ गयी लेकिन (उन दावों में) नाममात्र की सच्चाई होती है।’’
पाटिल के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘‘असंवेदनशीलता का स्तब्धकारी प्रदर्शन करते हुए कर्नाटक के गन्ना विकास एवं एपीएमसी मंत्री शिवानंद पाटिल ने दावा किया कि राज्य में किसानों की आत्महत्याएं शोकसंतप्त परिवार के वास्ते राज्य सरकार द्वारा मुआवजा बढ़ाये जाने के बाद बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। क्या बात है कांग्रेस?’’
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