चंडीगढ़, एक अगस्त फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत किसानों की मांगों के समर्थन में उनके आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने बृहस्पतिवार को पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी किसानों ने पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा बिंदु पर भाजपा के पुतले फूंके। उन्होंने अमृतसर, मोगा, कुरुक्षेत्र, अंबाला, सोनीपत और पंचकूला समेत कई जगहों पर पुतले जलाये।
किसानों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा सरकार के हाल के उस फैसले की भी आलोचना की, जिसमें किसानों के ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम के तहत उन्हें दिल्ली जाने से रोकने में छह पुलिस अधिकारियों की भूमिका के लिए उन्हें वीरता पदक की सिफारिश की गई है।
हरियाणा सरकार ने हाल ही में केंद्र को भेजी अपनी सिफारिशों में छह पुलिस अधिकारियों के नाम की सिफारिश की थी, जिनमें से तीन आईपीएस और तीन अन्य हरियाणा पुलिस सेवा से हैं, जिन्हें “वीरता के लिए पुलिस पदक” से सम्मानित किया जाएगा।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इसे लेकर हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पुलिस अधिकारियों को बल प्रयोग करके किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है।”
पंधेर ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने फरवरी में दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाईं।
फरवरी में, छह अधिकारियों को शंभू और खनौरी सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान तैनात किया गया था, जहां सुरक्षा कर्मियों ने प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने से रोका था।
बृहस्पतिवार के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
पंधेर ने कहा, “जब तक किसानों और मजदूरों की मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।”
प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डटे हुए हैं, जब उनके ‘दिल्ली चलो’ मार्च को सुरक्षा बलों ने रोक दिया था।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर 21 फरवरी को खनौरी सीमा पर हुई झड़पों में बठिंडा निवासी एक युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी घायल हो गये थे।
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