कांग्रेस ने मोदी सरकर से की मांगा, मौजूदा GST को निरस्त किया जाए, एक स्लैब और कम दर वाली जीएसटी लागू हो
कांग्रेस ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किये जाने के पांच वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को मौजूदा जीएसटी को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा कि सिर्फ एक स्लैब और कम दर वाली जीएसटी लागू करने की जरूरत है, क्योंकि वर्तमान कानून और इसके क्रियान्वयन के तरीके ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है.
नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) ने माल एवं सेवा कर (GST) लागू किये जाने के पांच वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को मौजूदा जीएसटी को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा कि सिर्फ एक स्लैब और कम दर वाली जीएसटी लागू करने की जरूरत है, क्योंकि वर्तमान कानून और इसके क्रियान्वयन के तरीके ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. मुख्य विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह आग्रह भी किया कि जीएसटी कानून पर पुनर्विचार करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और संसद में भी इस पर चर्चा कराई जाए.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी ने जिस ‘जेन्विन सिम्पल टैक्स’ (वास्तविक रूप से सरल कर व्यवस्था) की कल्पना की थी, उसे मोदी सरकार ने ‘गब्बर सिंह टैक्स’ में बदल दिया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस के ‘जेन्विन सिम्पल टैक्स’ को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ में तब्दील कर दिया। जीएसटी की छह दरें और 1826 दिनों में 1000 से अधिक संशोधन किए गए. क्या यह सरल है? यह कारोबार विशेषकर एमएसएमई के लिए बुरे सपने की तरह है. यह भी पढ़े: GST रिटर्न ऐसे करें फाइल, जानिए किसे लगेगा कौन सा फॉर्म
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘कांग्रेस ‘जीएसटी 2.0’ के माध्यम से कारोबार और रोजगार को पटरी पर लाएगी। इसमें जीएसटी की कम दर होगी और राज्यों के साथ (इसे) ईमानदारी के साथ साझा किया जाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस इस जीएसटी को खारिज करती है और वह मौजूदा जीएसटी की जगह 'जीएसटी 2.0' को प्रतिस्थापित करने की दिशा में काम करेगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "आज जीएसटी अपना 5वां जन्मदिन मना रहा है। वास्तव में इसमें जश्न मनाने जैसा कुछ भी नहीं .
जीएसटी में कुछ जन्मजात त्रुटियां थीं और पिछले पांच वर्षों में ये त्रुटियां बदतर हो गई हैं तथा इसके कारण इसने अपने संपर्क क्षेत्र में आने वाले सभी लोगों को गंभीर आघात पहुंचाया है. चिदंबरम ने दावा किया, "इसने वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करने वाले आम लोगों, जो ज़्यादा टैक्स की मार झेल रहे हैं, उन्हें अपने बोझ तले दबा दिया. उन्होंने आरोप लगाया, "यह कानून इतना दोषपूर्ण है कि सरकार को सैकड़ों कार्यकारी दिशानिर्देश जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पिछले पांच साल में सरकार ने 869 अधिसूचनाएं, 143 परिपत्र और 38 आदेश जारी किए हैं। यह एक ऐसी जीएसटी है, जो त्रुटिपूर्ण और पूर्णतया अस्थाई है.
यह पूछे जाने पर कि मौजूदा जीएसटी में सुधार के लिए तत्काल क्या कदम उठाए जाने चाहिए तो चिदंबरम ने कहा, ‘‘पहला काम यह होना चाहिए कि छह दरों से मुक्ति पाई जाए, एक दर हो वो भी कम हो। यही जीएसटी होती है...इस जीएसटी को निरस्त किए जाए और फिर एक स्लैब और कम दर से इसकी शुरुआत की जाए.
उनका यह भी कहना था, ‘‘इस जीएसटी कानून में कई खामियां हैं। इस कानून को सही कर पाना बहुत मुश्किल है। इसके स्थान पर दूसरा कानून ही लाना होगा चिदंबरम ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के बकाये और कुछ अन्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए दावा किया जीएसटी के संदर्भ में राज्यों के साथ विश्वासघात किया गया है.
। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी परिषद निष्क्रिय है और राज्यों के वित्त मंत्री इससे नाखुश हैं
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘यह जीएसटी नोटबंदी की तरह तुगलकी फरमान था। सिर्फ क्रियान्वयन में कमी नहीं थी, जीएसटी के मूल स्वरूप में ही कमी है। एमएसएमई बर्बाद हो गए हैं। राज्य सरकारों का राजस्व घट गया है.
उन्होंने यह दावा भी किया, ‘‘पिछले पांच वर्षों में जिस तरह से जीएसटी परिषद ने काम किया है, उससे लगता है कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय का अंग बन गई है। जो प्रधानमंत्री कहते हैं, वही जीएसटी परिषद में होता है’’ रमेश ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वित्त मंत्री बार-बार कहती हैं कि (जीएसटी परिषद की बैठक में) आम सहमति बन गई है। यह आम सहमति नहीं है। जीएसटी परिषद के बाहर भी बुलडोजर राज है और अंदर भी बुलडोजर राज है। बुलडोजर ही बुलडोजर है.
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस पर (जीएसटी कानून पर) संसद में चर्चा कराई जाए और सर्वदलीय बैठक बुलाकर भी चर्चा की जाए उन्होंने कहा, "इस जीएसटी पर पुनर्विचार हो ताकि देश को एक सही जीएसटी मिल सके.
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