नयी दिल्ली, दो जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार एवं धनशोधन के दो मामलों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया वह दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 तैयार करने और इसके क्रियान्वयन की आपराधिक साजिश के मुख्य षडयंत्रकारियों में से एक हैं।
उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसियों द्वारा एकत्रित सामग्री का अवलोकन करते हुए कहा कि कविता प्रथम दृष्टया विभिन्न प्रक्रियाओं में रिश्वत के भुगतान और अपराध की आय से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं और धनशोधन के अपराध में शामिल थीं।
अदालत ने कहा कि अभी नियमित जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि जांच महत्वपूर्ण चरण में है। अदालत ने महिला होने के आधार पर राहत के लिए कविता की याचिका खारिज कर दी और कहा कि एक सुशिक्षित और एक पूर्व सांसद के रूप में उनकी तुलना एक कमजोर महिला से नहीं की जा सकती और अदालत उनके खिलाफ "गंभीर आरोपों" को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने सोमवार को पारित और कल देर शाम अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत की राय है कि के. कविता दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्यन के संबंध में रची गई आपराधिक साजिश में प्रथम दृष्टया मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं।’’
कविता की इस दलील पर विचार करते हुए कि एक महिला होने के नाते उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि वह धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के प्रावधान के लाभ की हकदार हैं, अदालत ने कहा कि उनकी तुलना एक कमजोर महिला से नहीं की जा सकती।
अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (कविता) एक सुशिक्षित महिला हैं। जैसा कि याचिका की सामग्री में ही उल्लेख किया गया है, याचिकाकर्ता के. कविता निजामाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से तेलंगाना विधान परिषद सदस्य हैं और वह निजामाबाद से पूर्व सांसद सहित महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर रही हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘उनकी शैक्षणिक योग्यता और तेलंगाना राज्य में समाज की बेहतरी के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य, वास्तव में, उनका एक पक्ष है। हालांकि, वर्तमान जमानत आवेदनों पर निर्णय लेते समय, यह अदालत इन उपलब्धियों की सराहना कर सकता है, लेकिन वह अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों और जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्यों और इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकता, जो प्रथम दृष्टया विचाराधीन अपराध में उनकी भूमिका को प्रकट करते हैं।’’
अदालत ने कहा कि ईडी द्वारा एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि कविता कथित घोटाले में मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं।
न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘‘इस प्रकार, के. कविता की तुलना एक कमजोर महिला से नहीं की जा सकती। तदनुसार, इस अदालत का विचार है कि के. कविता पीएमएलए की धारा 45 के प्रावधान के लाभ की हकदार नहीं हैं।’’
कविता ने निचली अदालत के 6 मई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के भ्रष्टाचार मामले के साथ-साथ ईडी के धनशोधन मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
कविता के वकील ने कहा कि आबकारी मामले में 50 आरोपियों में से वह अकेली महिला हैं और उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें जमानत देने पर विचार किया जाए क्योंकि कानून महिलाओं को अलग स्थान पर रखता है।
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कविता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं।
कविता दोनों मामलों में न्यायिक हिरासत में है।
यह "घोटाला" दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति बनाने और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।
ईडी ने कविता (46) को 15 मार्च को हैदराबाद में बंजारा हिल्स स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने उन्हें तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था।
ईडी मामले में अपनी जमानत याचिका में, बीआरएस नेता एवं तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी ने कहा था कि उनका आबकारी नीति से "कोई लेना-देना नहीं" है और उनके खिलाफ "ईडी की सक्रिय मिलीभगत से केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने आपराधिक साजिश रची" है।
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