बेल्जियम ने न्यूनतम तनख्वाह में इजाफा करते हुए इसे करीब 2,030 यूरो प्रतिमाह कर दिया है. एक अप्रैल से यह तनख्वाह लागू भी कर दी गई है.बेल्जियम के सबसे बड़े श्रम संगठन 'क्रिश्चन ट्रेड यूनियन' (एसीवी) के मुताबिक, बढ़ी हुई न्यूनतम आय का फायदा देश भर के 80,000 कामगारों को मिलेगा. 1 अप्रैल, 2024 से लागू हुई नई न्यूनतम आय के तहत अब हर महीने काम के बदले 2,029.88 यूरो मिलेंगे. हालांकि, इस सैलरी पर टैक्स भी कटेगा. इससे पहले अप्रैल 2022 में देश में न्यूनतम आय में वृद्धि की गई थी.
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इस बढ़त के साथ ही बेल्जियम यूरोप में सबसे ज्यादा न्यूनतम आय वाले देशों में पांचवें स्थान पर आ गया है. लिस्ट में लक्जमबर्ग, आयरलैंड, नीदरलैंड्स और जर्मनी उससे ऊपर हैं. इन सभी देशों में न्यूनतम मासिक आय 2,000 यूरो से ज्यादा है.
आमदनी के साथ टैक्स में भी इजाफा
टैक्स के बाद भी बहुत ज्यादा तनख्वाह पाने वाले लोगों को 1 अप्रैल से थोड़ा और अधिक आयकर चुकाना होगा. समीक्षकों के मुताबिक, बहुत ऊंची सैलरी वाले लोगों को करीब 50 यूरो प्रतिमाह ज्यादा टैक्स देना होगा.
यूरोप में डेटा जुटाने वाली संस्था यूरोस्टैट के मुताबिक, बेल्जियम में फुल टाइम जॉब करने वालों की सैलरी बीते चार साल में करीब 400 यूरो बढ़ी है. योजना के मुताबिक, अगली वृद्धि 2026 में की जाएगी.
मजदूरी के मामले में कहां खड़ा है बेल्जियम
मजदूरी के लिहाज से बेल्जियम यूरोप के सबसे महंगे देशों में शामिल है. देश में औसत मजदूरी 47.10 यूरो प्रतिघंटा है. यूरोपीय संघ के देशों में प्रतिघंटे की मजदूरी 9 यूरो से 54 यूरो के बीच है.
सबसे ज्यादा मजदूरी लक्जमबर्ग (53.9 यूरो प्रतिघंटा) और डेनमार्क (48.1 यूरो प्रतिघंटा) में है. लिस्ट में सबसे नीचे बुल्गारिया (9.3 यूरो प्रतिघंटा) और रोमानिया (11 यूरो प्रतिघंटा) हैं.
न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की मांग
यूरोपीय संघ का एक और देश ग्रीस भी न्यूनतम मजदूरी को 6.4 फीसदी बढ़ाने की योजना बन रहा है. एथेंस की सरकार के मुताबिक, आगामी वृद्धि के बाद नौकरीपेशा लोगों को महीने में कम-से-कम 830 यूरो सैलरी मिल सकेगी.
ब्रिटेन में भी अप्रैल 2024 से न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 11.44 पाउंड प्रतिघंटा कर दिया गया है. अमेरिकी प्रांत कैलिफोर्निया ने फूड डिलीवरी सेवाओं के लिए न्यूनतम मजदूरी 20 डॉलर प्रतिघंटा कर दी है.
यूक्रेन युद्ध और बदलते भू राजनीतिक समीकरणों के चलते दुनिया के कई देश पिछले दो साल से महंगाई का सामना कर रहे हैं. सक्षम देश जहां अपने यहां न्यूनतम मजदूरी बढ़ा पा रहे हैं, वहीं कमजोर देश कर्ज के दलदल में डूबते जा रहे हैं.
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के मुताबिक पाकिस्तान, श्रीलंका, मिस्र, ट्यूनीशिया, लेबनान, केन्या और इथियोपिया भारी कर्ज में डूब चुके हैं. हालांकि इसी दौरान दुनिया भर में अमीरों और गरीबों के बीच खाई और गहरी भी हुई है.
ओएसजे/एसएम (एपी, रॉयटर्स)