चेन्नई, 10 दिसंबर मद्रास उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जेलों में अनावश्यक रूप से बंद कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया की औपचारिकताएं जल्द पूरी की जाएं।
अदालत ने कहा कि कानूनी सहायता सेवाओं के माध्यम से सक्षम न्यायालय के समक्ष आवश्यक याचिकाएं दायर करना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति एम ज्योतिरामन की खंडपीठ ने सोमवार को यह आदेश पारित किया।
अपने आदेश में पीठ ने कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक ने जेल विभाग के हवाले से बताया है कि जमानत मिलने के बाद भी 153 कैदी अभी तमिलनाडु की विभिन्न जेल में बंद हैं।
दोषी करार दिए गए ऐसे 22 कैदी भी जेल में बंद हैं जिनकी सजा को अपीलीय अदालतों द्वारा निलंबित किया जा चुका है।
अतिरिक्त सरकारी वकील ने कहा कि जिला अदालतों से जमानत आदेश मिलने में देरी होती है।
उन्होंने कहा कि जहां तक उच्च न्यायालय का सवाल है, आदेश की प्रतियां तुरंत प्राप्त हो जाती हैं।
पीठ ने कहा कि इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल को पक्षकार बनाना आवश्यक है ताकि प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो कैदी अनावश्यक रूप से जेलों में बंद हैं, उन्हें औपचारिकताएं पूरी कर और सक्षम अदालत में विधिक सहायता सेवाओं के माध्यम से आवश्यक याचिकाएं दायर कर रिहा किया जाए।
पीठ ने कहा कि पुडुचेरी सरकार के मुख्य सचिव को भी प्रतिवादी बनाया गया है।
पीठ ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने कहा है कि उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के साथ समन्वय करके त्वरित कार्रवाई की जाएगी और राज्य भर में कैदियों को आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद, जमानत मिलने या सजा के निलंबन के बाद भी जेल में बंद कैदियों की संख्या का पता लगाया जा सके।
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