देश की खबरें | एल्गार मामला: एनआईए ने नवलखा का संबंध अमेरिका में गिरफ्तार आईएसआई एजेंट के साथ बताया

मुंबई, 21 फरवरी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए बंबई उच्च न्यायालय को बताया है कि अमेरिका में गिरफ्तार पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट के साथ उनके संबंध थे।

एजेंसी ने नवलखा की याचिका के जवाब में दाखिल अपने हलफनामे में यह भी दावा किया कि उन्होंने ‘‘ऐसे कार्य किए जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और संप्रभुता पर सीधा प्रभाव पड़ा है।’’

एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने सोमवार को न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति पी डी नाइक की पीठ को सूचित किया कि एजेंसी ने नवलखा की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपना जवाब दाखिल कर दिया है। पीठ ने कहा कि वह 27 फरवरी को याचिका पर दलीलें सुनेगी।

एनआईए ने अपने हलफनामे में दावा किया कि गुलाम नबी फई द्वारा आयोजित कश्मीरी अमेरिकन कॉन्फ्रेंस सम्मेलन को संबोधित करने के लिए नवलखा ने तीन बार अमेरिका की यात्रा की थी। हलफनामे में कहा गया कि फई के साथ नवलखा नियमित रूप से संपर्क में थे।

एनआईए ने कहा, ‘‘गुलाम नबी फई को जुलाई 2011 में आईएसआई और पाकिस्तान सरकार से धन स्वीकार करने के लिए (अमेरिकी एजेंसी) एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था...नवलखा ने गुलाम नबी फई के मामले की सुनवाई कर रही अमेरिकी अदालत के न्यायाधीश को राहत के लिए एक पत्र लिखा था।’’

एनआईए ने आगे दावा किया, ‘‘गौतम नवलखा को आईएसआई के निर्देश पर गुलाम नबी फई द्वारा उनकी भर्ती के लिए एक पाकिस्तानी आईएसआई जनरल से मिलवाया गया था, जो फई और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ उनकी साठगांठ को दर्शाता है।’’

स्वास्थ्य के आधार पर शीर्ष अदालत द्वारा मंजूरी के साथ नवलखा वर्तमान में जेल के बजाय घर में नजरबंद हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि नवलखा के ‘‘भाकपा (माओवादी) के साथ गहरे संबंध हैं और वह अपने विभिन्न व्याख्यानों और वीडियो के माध्यम से माओवादी विचारधारा और सरकार विरोधी बयानों का समर्थन करते हैं।’’

एनआईए ने कहा कि इन गतिविधियों का उद्देश्य सरकार को उखाड़ फेंकना था। एनआईए ने आरोप लगाया कि नवलखा को सरकारी बलों के खिलाफ बुद्धिजीवियों को एकजुट करने और ‘‘सीपीआई (माओवादी) की छापामार गतिविधियों’’ के लिए कैडर की भर्ती करने जैसे कार्य सौंपे गए थे।

एल्गार मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा भड़क गई।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)