देश की खबरें | इलेक्ट्रिक वाहन माथेरान में एलपीजी सिलेंडर पहुंचा सकते हैं: उच्च न्यायालय
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मुंबई, चार जून बम्बई उच्च न्यायालय ने माथेरान में एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने का सुझाव दिया है। दरअसल, केंद्रीय रेलवे ने अपनी मालगाड़ियों में इस ईंधन को ले जाने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति ए के मेनन, पूर्व विधायक सुरेश लाड द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें लॉकडाउन के बीच माथेरान में आवश्यक ईंधन पहुंचाने के लिए वाहनों की आवाजाही पर लगे प्रतिबंध में छूट देने की मांग की गई है।

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याचिका के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 2003 में माथेरान को पर्यावरणीय रूप से एक संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया था। दस्तुरी प्वाइंट के पार आपातकालीन और अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं से संबंधित वाहनों को छोड़कर किसी भी वाहन को ले जाने की अनुमति नहीं है।

याचिका में मंत्रालय और रायगढ़ जिला कलेक्टर को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है कि वे लॉकडाउन के दौरान प्रतिबंधों के मानदंडों को शिथिल करें, ताकि आवश्यक चीजों का परिवहन करने वाले छोटे टेम्पो और ट्रक क्षेत्र में प्रवेश कर सकें।

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16 मई को उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने निर्देश दिया था कि एक टेम्पो खाद्य पदार्थ और आवश्यक सामान माथेरान पहुंचाने के लिए सप्ताह में तीन बार वहां जा सकता है।

लाड के वकील गौरव पारकर ने मंगलवार को अदालत को बताया कि आदेश के बावजूद, टेम्पो सेवा कभी भी शुरू नहीं की गई।

सहायक सरकारी वकील मनीष पाबले ने अदालत को बताया कि टेंपो सेवा इसलिए शुरू नहीं की गई क्योंकि लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ी सेवाओं के जरिये नियमित रूप से हिल स्टेशन पर जरूरी चीजें पहुंचाई जाती हैं।

हालांकि, पार्कर ने कहा कि रेलवे एलपीजी सिलेंडर के परिवहन की अनुमति नहीं देता है।

मध्य रेलवे के अधिवक्ता टी जे पांडियन ने अदालत को बताया कि रेल डिब्बों में एलपीजी सिलेंडर नहीं ले जा सकते, क्योंकि ट्रेनों में गैस और अन्य ज्वलनशील पदार्थ प्रतिबंधित हैं।

न्यायमूर्ति मेनन ने तब केंद्र द्वारा गठित एक अंतरिम निगरानी समिति को इस मुद्दे पर गौर करने और समाधान निकालने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, "एलपीजी की आवाजाही के लिए विद्युत चालित वाहनों का उपयोग करने की व्यवहार्यता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।"

याचिका में कहा गया कि माथेरान के लगभग 4,500 निवासी और पड़ोसी गाँवों के 25,000, लोग जिनमें आदिवासी और पशुपालक शामिल हैं, अपनी आजीविका और रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति के लिए शहर पर निर्भर हैं।

कृष्ण

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