Electoral Bond: अब तक 16,000 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉण्ड बेचे गए; भाजपा को इसका सबसे बड़ा हिस्सा मिला
विभिन्न राजनीतिक दलों को अब तक चुनावी बॉण्ड के तहत 16,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि प्राप्त हुई है, जिसमें से सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलने का अनुमान है।
नयी दिल्ली, 15 फरवरी : विभिन्न राजनीतिक दलों को अब तक चुनावी बॉण्ड के तहत 16,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि प्राप्त हुई है, जिसमें से सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलने का अनुमान है. निर्वाचन आयोग और चुनाव सुधार संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को 2018 में चुनावी बॉण्ड योजना (अब रद्द की जा चुकी) की शुरुआत होने के बाद से पिछले वित्त वर्ष तक कुल 12,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि मिली और इसमें से सत्तारूढ़ भाजपा को करीब 55 प्रतिशत (6,565 करोड़ रुपये) मिले.
मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजनीतिक दलों के अलग-अलग आंकड़े, साल के लिए उनके वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने के बाद उपलब्ध होंगे. एडीआर ने मार्च 2018 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बॉण्ड की बिक्री के जरिये जुटाई गई कुल राशि 16,518.11 करोड़ रुपये होने का अनुमान जताया है. औसतन, राजनीतिक दलों को प्राप्त कुल चंदे का आधे से अधिक हिस्सा बॉण्ड से प्राप्त राशि का है, हालांकि, अपने-अपने राज्यों में सत्तारूढ़ कुछ क्षेत्रीय दलों के मामले में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत से अधिक है.
भाजपा के मामले में भी, चुनावी बॉण्ड इसे प्राप्त कुल चंदे का आधे से अधिक हिस्सा है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-2 के कार्यकाल के अंतिम वर्ष से देश की सबसे अमीर पार्टी होने के मामले में भाजपा ने कांग्रेस की जगह ले ली है। वित्त वर्ष 2013-14 में कांग्रेस की 598 करोड़ रुपये की आय की तुलना में भाजपा की कुल आय 673.8 करोड़ रुपये थी. तब से, बीच के कुछ वर्षों को छोड़कर, भाजपा की आय ज्यादातर बढ़ती रही है, जबकि कांग्रेस की आय में गिरावट देखी गई है.
चुनावी बॉण्ड की शुरुआत होने के बाद, पहला पूर्ण वित्तीय वर्ष 2018-19 था, जब भाजपा की आय (1,027 करोड़ रुपये से) दोगुनी से अधिक होकर 2,410 करोड़ रुपये हो गई, जबकि कांग्रेस की आय भी तीव्र वृद्धि के साथ 199 करोड़ रुपये से 918 करोड़ रुपये हो गई. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, भाजपा की कुल आय 2,360 करोड़ रुपये थी, जिसमें से लगभग 1,300 करोड़ रुपये चुनावी बॉण्ड के माध्यम से आए थे.
उसी वर्ष, कांग्रेस की कुल आय घटकर 452 करोड़ रुपये रह गई, जिसमें से 171 करोड़ रुपये चुनावी बॉण्ड के माध्यम से प्राप्त हुए थे. भाजपा को 2021-22 में चुनावी बॉण्ड के माध्यम से प्राप्त होने वाला धन 1,033 करोड़ रुपये से बढ़ गया, जबकि कांग्रेस को प्राप्त राशि उस वर्ष 236 करोड़ रुपये से घट गयी. अन्य दलों में, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को पिछले वित्त वर्ष में इन बॉण्ड के माध्यम से 325 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 529 करोड़ रुपये, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) को 185 करोड़ रुपये, बीजू जनता दल (बीजद) को 152 करोड़ रुपये और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) को 34 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
समाजवादी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को चुनावी बॉण्ड के रूप में एक भी रुपया नहीं प्राप्त हुआ. चुनावी बॉण्ड में आधी से अधिक रकम कॉरपोरेट (निजी कंपनियों) से प्राप्त हुई, जबकि शेष राशि अन्य स्रोतों से आई. उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक वित्तपोषण के लिए शुरू की गई चुनावी बॉण्ड योजना को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया. न्यायालय ने कहा कि यह सूचना का अधिकार और संविधान में प्रदत्त भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)