देश की खबरें | केआईआईएफबी के विदेशी लेनदेन की जांच नहीं कर सकती ईडी: वी.डी सतीशन

कोच्चि, 11 अगस्त केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) द्वारा जारी मसाला बांड जैसे विदेशी वित्तीय लेनदेन की जांच नहीं कर सकता। लिहाजा, इस संबंध में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक को जारी समन की कोई प्रासंगिकता नहीं है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सतीशन ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके अनुसार ईडी इस तरह के वित्तीय लेनदेन की जांच नहीं कर सकता और यह धनशोधन की जांच करता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं है।

उन्होंने कहा, ''मामला बस इतना है कि विदेश से उच्च ब्याज दर पर कर्ज लिया गया। मैं समझ नहीं पा रहा कि यह मामला ईडी के अधिकार क्षेत्र में कैसे आता है। मुझे लगता है कि यह ईडी की जांच के दायरे में नहीं आना चाहिए।''

इसाक को समन जारी किए जाने के बारे में सतीशन ने कहा कि किसी को भी आरोपी नहीं बनाया गया है और सत्तारूढ़ माकपा के नेता को केवल पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा जा रहा है।

उन्होंने कहा, ''हालंकि, मेरे मुझे लगता है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) द्वारा जारी मसाला बांड जैसे विदेशी वित्तीय लेनदेन की जांच नहीं कर सकता। लिहाजा थॉमस इसाक को जारी नोटिस की कोई प्रासंगिकता नहीं है।''

केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायकों के.के. शैलजा और आई.बी. सतीश, अभिनेता एम. मुकेश, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के विधायक ई. चंद्रशेखरन और कांग्रेस (सेक्युलर) के विधायक के. रामचंद्रन ने इस मामले की ईडी जांच के खिलाफ उच्च न्यायालय में संयुक्त याचिका दाखिल की है।

मामले में विधायकों की ओर से पेश अधिवक्ता वी.एम कृष्णकुमार ने बुधवार को याचिका दाखिल करने की पुष्टि की और यह भी बताया कि इसे बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

याचिका में, विधायकों ने आरोप लगाया है कि ईडी केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) को बदनाम करने के लिए इसे फंसाने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि केआईआईएफबी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत एकमात्र वित्तीय लेनदेन किया था और वह 'मसाला बांड' जारी करने से संबंधित था। इन्हें आरबीआई की अनुमति से जारी किया गया था, जो कि वित्तीय लेनदेन के मामले में नियामक है।

याचिका में कहा गया है कि यदि नियामक के रूप में आरबीआई को फेमा के उल्लंघन से संबंधित कोई शिकायत नहीं है, तो एक बाहरी एजेंसी उसी के संबंध में जांच कैसे कर सकती है।

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