जरुरी जानकारी | अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही में आ रही तेजी, पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण: आरबीआई लेख

मुंबई, 17 अगस्त देश की अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही में तेजी आ रही है। हालांकि, महंगाई लगातार केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुलेटिन में यह कहा गया है।

मुख्य रूप से टमाटर समेत सब्जियों और अन्य खाने का सामान महंगा होने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में उछलकर 7.44 प्रतिशत पहुंच गयी, जो इससे पिछले महीने में 4.87 प्रतिशत थी।

बुलेटिन में लिखा गया है, ‘‘जहां मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति में नरमी है, वहीं खुदरा महंगाई दर दूसरी तिमाही में औसतन छह प्रतिशत से ऊपर रहने की आशंका है।’’

मुख्य मुद्रास्फीति में अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाली खाद्य और ऊर्जा कीमतों को शामिल नहीं किया जाता।

केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत (दो से छह प्रतिशत के बीच) पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

लेख में यह भी कहा गया है कि औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में नरमी से पहली तिमाही के मजबूत प्रदर्शन के बाद वैश्विक पुनरुद्धार धीमा हो रहा है।

इसमें लिखा गया है, ‘‘वैश्विक माहौल में दबाव के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था 2023-24 की दूसरी तिमाही में गति पकड़ रही है।’’ निर्यात के कारण जो गिरावट है, उसकी भरपाई निजी खपत और स्थिर निवेश जैसे घरेलू कारक कर रहे हैं।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने पिछले सप्ताह पेश द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिये आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है। इसका कारण यह है कि विदेशों में मांग कमजोर होने के बावजूद घरेलू मांग के कारण आर्थिक गतिविधियां जारी हैं।

हालांकि, हाल में खाने के सामान के दाम चढ़ने से मुद्रास्फीति के अनुमान को 0.3 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया गया है।

लेख के अनुसार, अबतक (14 अगस्त तक) खाद्य वस्तुओं की कीमतों के जो आंकड़े हैं, वे बताते हैं कि अनाज और दाल के दाम में अगस्त में लगातार तेजी रही है।

खाद्य तेल के दाम में जुलाई-अगस्त में गिरावट आई। वहीं टमाटर के दाम में अगस्त में अबतक औसतन तेजी रही है। हालांकि, ताजा आंकड़े बताते हैं कि कीमतों में कुछ नरमी आ रही है। प्याज और आलू के दाम में भी तेजी देखी जा रही है।

आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित इस लेख को केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने लिखा है।

रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि लेख में जो विचार दिये गये हैं, वह लेखकों के हैं और वह आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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