दिल्ली, सात सितंबर पारंपरिक अल्पाहार के स्थान पर बादाम खाने से तनाव के दौरान दिल की धड़कनों के बीच के समय में आने वाले उतार चढ़ाव (हार्ट रेट वेरियबिलिटी या एचआरवी) को स्थिर करने और दिल के कार्यप्रणाली को दुरुस्त रखने में मदद मिल सकती है। यह दावा एक अध्ययन में किया गया है।
उल्लेखनीय है कि एचआरवी की गणना दिल के लगातार धड़कनों के बीच के समय से होती है जबकि हृदय के कार्य करने की क्षमता का अभिप्राय शरीर की जरूरत के मुताबिक चयापचय (मेटाबॉलिक)से है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक शोध में मौजूद आहार रणनीति से बादाम खाने से हृदय को होने वाले अन्य लाभ के साथ मानसिक तनाव के दौरान हृदय का लचीलापन बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।
ब्रिटेन स्थित किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने बयान में कहा कि मानसिक तनाव उन मनोसामाजिक कारणों में से एक है जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
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बयान में कहा गया कि एचआरबी तनाव से हृदय प्रणाली के निपटने की क्षमता को जानने का महत्वपूर्ण संकेतक है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह माना जाता है कि जीवनशैली के कारण जैसे शारीरिक गतिविधि और खान-पान का असर एचआरवी पर पड़ता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि उच्च एचआरवी का अभिप्राय है कि हृदय आसपास के माहौल और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना कर सकता है जबकि निम्न एचआरबी का संबंध हृदय संबंधी बीमारियों और अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण मौत से है।
शोधकर्ता बादाम का प्रभाव जाने के लिए शोध में मानसिक तनाव से गुजर रहे प्रतिभागियों का एचआरबी नापा और पाया कि अन्य अल्पाहार के स्थान पर बादाम खाने से इसमें सुधार हुआ। यह सुधार छह हफ्ते में देखने को मिला।
शोधकर्ताओं ने पाया कि शोध में शामिल प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया जिन्हें हृदय रोग का खतरा अधिक और एक समूह को अल्पहार के स्थान पर बादाम दिया गया जबकि दूसरे समूह को सामान्य अल्पाहार। यह अल्पाहार या बादाम शरीर में ऊर्जा की 20 प्रतिशत जरूरत पूरी करती थी।
किंग्स कॉलेज लंदन की सह प्रधान शोधकर्ता वेंडी हॉल ने कहा, ‘‘इस अध्ययन से पता चलता है कि सामान्य अल्पहार को बादाम से बदलने की आसान आहार रणनीति से मानसिक तनाव की वजह से हृदय पर पड़ने वाले नकारात्मक असर कम को किया जा सकता है और हृदय गति को समान रखा जा सकता है।’’
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