नयी दिल्ली, 16 सितंबर बिजली मंत्रालय ने पहली बार विद्युत उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए नियमों का मसौदा तैयार किया है। इसमें ग्राहकों को भरोसेमंद सेवा, बिजली कनेक्शन लेने को आसान बनाने, वितरण कंपनियों की तरफ से सेवा में देरी के लिए मुआवजा तथा शिकायतों के समाधान के लिये 24 घंटे काम करने कॉल सेंटर जैसे प्रावधान किये गये हैं।
बिजली मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘‘मंत्रालय ने ग्राहकों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम 2020 मसौदा जारी किया है।’’
इस पहल का मकसद ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराना है। मंत्रालय के अनुसार, ‘‘ विद्युत क्षेत्र में बिजली उपभोक्ता सबसे महत्वपूर्ण पक्ष हैं। उनकी वजह से ही यह क्षेत्र मौजूद है। ऐसे में सभी नागरिकों को बिजली प्रदान करना और उपभोक्ता संतुष्टि पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है...।’’
इस मसौदे पर संबंधित पक्षों से 30 सितंबर, 2020 तक सुझाव मांगे गये हैं।
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मसौदा नियम में उपभोक्ता की शिकायत निवारण में आसानी लाने के लिए ‘सब-डिवीजन’ से लेकर विभिन्न स्तरों पर उपभोक्ताओं के 2-3 प्रतिनिधियों के साथ उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के गठन का प्रस्ताव किया गया है।
इसमें एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव बिजली वितरण कंपनियों द्वारा सेवा में देरी के लिए मुआवजा या दंड का प्रावधान करना है। यानी अगर वितरण कंपनियां बिजली ठीक करने या समस्या के समाधान में देरी करती हैं, इसके लिये उन्हें ग्राहकों को मुआवजा देना होगा।
मसौदा नियमों में विद्युत आपूर्ति में बाधा, नये कनेक्शन, क्षमता बढ़वाने जैसी सेवाओं के लिये 24 घंटे टोल फ्री कॉल सेंटर, वेब-आधारित सहायता और मोबाइल एप्लीकेशन का प्रावधान किया गया है। इन सब के लिए एसएमएस और ई-मेल अलर्ट सुविधा, ऑनलाइन स्टेटस ट्रैकिंग और स्वचालित प्रक्रिया की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है।
मसौदा नियम में नये कनेक्शन को लेकर समय निर्धारित करने के साथ प्रक्रिया सरल बनायी गयी है। इसके तहत 10 किलोवाट भार तक के विद्युत कनेक्शन के लिए केवल दो दस्तावेज और कनेक्शन देने में तेजी लाने के लिए 150 किलोवाट तक भार के लिए कोई अनुमानित मांग शुल्क नहीं लगाने के प्रस्ताव किये गये हैं।
इसमें कनेक्शन देने के लिये समय अवधि भी नियत की गई है। नया कनेक्शन प्रदान करने और मौजूदा कनेक्शन को संशोधित करने की समय अवधि मेट्रो शहरों में अधिक से अधिक 7 दिन, अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में 15 दिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिन से ज्यादा नहीं होगी।
मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में 9 सितंबर 2020 को यह मसौदा जारी किया। आने वाले सभी सुझावों और प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
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