नई दिल्ली, 18 नवंबर: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सीबीएसई और सीआईएससीई को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए केवल ऑफलाइन माध्यम के बजाय हाइब्रिड माध्यम (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों) का विकल्प उपलब्ध कराने का आदेश देने से बृहस्पतिवार को इनकार करते हुए कहा कि शिक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाए. उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए आपात बैठक करने को कहा
शीर्ष अदालत ने अंतिम समय में परीक्षा की प्रक्रिया में बाधा डालने की आदतों को हतोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इस चरण पर परीक्षा की सम्पूर्ण प्रकिया में बाधा डालना उचित नहीं होगा.उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की पहले सत्र की परीक्षाएं 16 नवंबर से शुरू हो गयी हैं जबकि काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशंस (सीआईएससीई) की बोर्ड परीक्षाओं के पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं 22 नवंबर से शुरू होनी हैं.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘‘अंतिम क्षण में बदलाव कराने और परीक्षार्थियों में उम्मीद जगाने के प्रयास को हतोत्साहित करना चाहिए.’’सीबीएसई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि ऑफलाइन माध्यम से बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए सभी एहतियात बरते गए हैं और परीक्षा केंद्रों की संख्या 6,500 से बढ़ाकर 15,000 तक कर दी गयी है.
शीर्ष अदालत बोर्ड परीक्षाएं दे रहे छह छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में सीबीएसई और सीआईएससीई को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कोविड-19 महामारी के बीच केवल ऑफलाइन माध्यम के बजाय हाइब्रिड माध्यम में कराने के लिए संशोधित परिपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को बताया कि अब बहुत देर हो चुकी है और इस चरण में परीक्षाओं के कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया जा सकता.
हेगड़े ने पीठ से कहा कि अभी अनिश्चिततता की स्थिति है और विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने के लिए हाइब्रिड मोड का विकल्प दिया जाना चाहिए.पीठ ने कहा, ‘‘शिक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ मत कीजिए। अधिकारियों को अपना काम जारी रखने दीजिए. ’’ इसने आगे कहा कि देश में ‘अराजक स्थिति’ होगी क्योंकि देश भर में लगभग 34 लाख छात्र इन परीक्षाओं में शामिल होंगे.हेगड़े ने शीर्ष अदालत को बताया कि कोविड-19 एक उभरती हुई स्थिति है और ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने की संभावना सहित कई पहलुओं पर पहले विचार किया गया था. पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप जल्दी आ जाते तो हम इस पर विचार कर सकते थे.अंतिम समय में आने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए.’’
हेगड़े ने सुनवाई के शुरू में कहा कि वह किसी चीज के विरोध में नहीं हैं और उनका तो सिर्फ यही अनुरोध है कि बोर्ड परीक्षाएं दे रहे छात्रों को हाइब्रिड माध्यम का विकल्प भी उपलब्ध कराया जाए. हेगड़े ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी जगह वायरस फैलने की आशंका है जहां कई लोग एकत्रित होते हैं.मेहता ने कहा कि करीब 34 लाख छात्र 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बैठेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘सीबीएसई की परीक्षाएं पहले ही 16 नवंबर को शुरू हो गयी हैं.’’ उन्होंने बताया कि प्राधिकारियों ने कोरोना वायरस फैलने की आशंका को लेकर जतायी चिंता का ध्यान रखा है.
पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस बारे में काफी व्यावहारिक रहने दीजिए. परीक्षाएं पहले ही शुरू हो गयी हैं. अब इसे कैसे ऑनलाइन बनाया जा सकता है.’’पीठ ने मेहता की दलीलों पर गौर किया कि परीक्षा के दौरान प्रति कक्षा केवल 12 छात्र होंगे, जो पहले प्रति कक्षा 40 था, और परीक्षा केंद्रों की संख्या 6,500 से बढ़ाकर 15,000 कर दी गई है. इसने इस बात का भी संज्ञान लिया कि परीक्षा का समय भी तीन घंटे से घटाकर 90 मिनट कर दिया गया है और यह सुनिश्चित करने के लिए ये उपाय किए गए हैं कि परीक्षा में बैठने वाले छात्रों और ड्यूटी करने वाले अन्य लोगों को किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े.
पीठ ने कहा कि इन व्यापक उपायों के अलावा सभी परीक्षा केंद्रों पर कोविड-19 के अनुकूल व्यवहार और अन्य प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा.पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, ‘‘यह देखने के लिए पर्याप्त है कि इस तरह के विलंबित चरण में, भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में हस्तक्षेप करना संभव नहीं है.’’इसने कहा, ‘‘हम आशा और विश्वास करते हैं कि अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियात और उपाय करेंगे कि परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र समुदाय और ड्यूटी धारकों को किसी अप्रिय स्थिति का सामना न करना पड़े, जैसा कि सॉलिसिटर जनरल द्वारा आश्वासन दिया गया है.’’ .
आगामी बोर्ड परीक्षा में एक हाइब्रिड विकल्प की मांग करने वाली याचिका में दावा किया गया था कि केवल टर्म वन या सेमेस्टर वन परीक्षाओं को ऑफलाइन मोड में आयोजित करने में बोर्ड की पूरी कवायद बेहद अनुचित है.अधिवक्ता सुमंत नुकाला के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया था कि बोर्ड परीक्षाएं हाइब्रिड मोड में आयोजित की जाएं, जिसमें ऑफलाइन और ऑनलाइन परीक्षाओं के बीच चयन करने का विकल्प हो.
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