जयपुर, 21 जुलाई राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार को चिकित्सकों से मिर्गी रोग के उपचार के साथ-साथ इसके प्रति जागरूकता लाने का भी आह्वान किया है।
मिश्र ने मिर्गी रोग को लेकर समाज में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में, व्याप्त भ्रांतियों और अंधविश्वास को दूर करने पर बल दिया है।
उन्होंने कहा कि मिर्गी कोई लाइलाज रोग नहीं रह गया है, और इसका यदि समयबद्ध उपचार होता है तो 80 प्रतिशत मामलों में रोगियों के दौरे बंद हो जाते है और वह सामान्य जीवन यापन कर सकते हैं।
राज्यपाल ने मिर्गी के उपचार के साथ इसके संबंध में जागरूकता के अधिकाधिक प्रसार का आह्वान किया।
मिश्र शुक्रवार को इण्डियन एपिलेप्सी एसोसिएशन और इण्डियन एपिलेप्सी सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इकोन-2023 सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस वैज्ञानिक युग में भी इस बीमारी के लक्षणों से घबरा कर लोग रोगी को अंधविश्वास के चलते झाड़-फूंक कराने, ओझाओं के पास जाने आदि के चक्कर में पड़ जाते हैं, यह दुखद है।
उन्होंने कहा कि जागरूकता के अभाव में लोग महत्वपूर्ण समय व्यर्थ गंवा देते हैं और समय पर चिकित्सा नहीं मिलने से कई बार स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाती है।
मिश्र ने कहा कि जीवनशैली में बदलाव करते हुए प्राकृतिक जीवनचर्या का पालन करते, पर्याप्त नींद, नियमित योगासन, व्यायाम, प्राणायाम आदि को अपनाते हुए संतुलित आहार लिया जाए तो व्यक्ति कई रोगों से बच सकता है औऱ शारीरिक रूप से स्वस्थ जीवन जी सकता है।
राजस्थान स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर भण्डारी ने कहा कि नए चिकित्सीय शोधों के आधार पर हुई प्रगति से मिर्गी रोगियों के जीवन को आसान बनाने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी की दवाइयों और इलाज की लागत कम करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जाने चाहिए।
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