कोलकाता, 12 अगस्त कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के जूनियर चिकित्सकों ने सोमवार को सवाल उठाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले को सुलझाने के लिए सात दिनों की समयसीमा क्यों तय की।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मांगें पूरी होने तक वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे।
महिला चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या की मजिस्ट्रेट जांच की मांग को लेकर जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल और जनाक्रोश के बीच सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वादा किया कि अगर पुलिस रविवार तक इस मामले को सुलझाने में विफल रहती है तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा।
अपनी मांगों को लेकर जूनियर चिकित्सक, प्रशिक्षु और परास्नातक प्रशिक्षु चिकित्सकों की हड़ताल सोमवार को लगातार चौथे दिन भी जारी रहने के कारण अस्पतालों में सेवाएं बाधित हैं।
बनर्जी के पारदर्शी जांच के वादे के बावजूद, प्रदर्शनकारियों ने कार्रवाई में देरी की आलोचना की और मामले की न्यायिक जांच की मांग की। साथ ही दोषियों के लिए मृत्युदंड और पीड़ित परिवार के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की।
प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सकों ने जांच के बारे में फैलाई जा रही अफवाहों के लिए कोलकाता पुलिस से माफी मांगने की भी मांग की और जोर दिया कि अस्पताल के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया जाए और उन्हें कहीं और तैनात न किया जाए।
मामला सामने आने के बाद शुरू में, पुलिस ने संदेह जताया था कि यह आत्महत्या थी, लेकिन बाद में उसने अपना बयान बदल दिया।
एक प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सक ने कहा, ‘‘जांच रविवार तक क्यों टाली जा रही है? हम जांच से नाखुश हैं। हमारी मांगें स्पष्ट हैं। हम चाहते हैं कि मामले की न्यायिक जांच हो और दोषियों को मृत्युदंड मिले। पीड़िता के परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। हम यह भी चाहते हैं कि कोलकाता पुलिस जांच को लेकर फैली अफवाहों के लिए माफी मांगे।’’
वहीं, मुख्यमंत्री बनर्जी महिला चिकित्सक के घर गईं और उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की।
बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर पुलिस रविवार तक इस मामले को सुलझाने में नाकाम रहती है, तो हम मामले को सीबीआई को सौंप देंगे। हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी की सफलता दर बहुत कम है।’’
मुख्यमंत्री ने कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों का जिक्र किया जिन्हें सीबीआई ‘‘सुलझा नहीं सकी।’’
बनर्जी ने यह भी कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रधानाचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (घटना के बाद) उनके लिए अपशब्दों के इस्तेमाल के बारे में बताया है। हमने उन्हें दूसरे विभाग में भेज दिया है। हमने लापरवाही के कारण चिकित्सा अधीक्षक और उप प्राचार्य को भी हटा दिया है। ‘चेस्ट मेडिसिन’ विभाग के प्रमुख और आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा के प्रभारी कोलकाता पुलिस के एसीपी को भी हटा दिया गया है।’’
वहीं, पिछले तीन दिन से जूनियर चिकित्सक आपात ड्यूटी कर रहे थे लेकिन सोमवार सुबह से उन्होंने आपात सेवाएं भी रोक दी हैं।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एक प्रदर्शनकारी जूनियर चिकित्सक ने कहा, ‘‘हम अपनी सहकर्मी के हत्या मामले की पुलिस की मौजूदा जांच से असंतुष्ट हैं। न्याय मिलने तक और जब तक राज्य सरकार सभी चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की पुख्ता सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करती, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।’’
अस्पताल के अंदर शुक्रवार सुबह परास्नातक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक का शव मिला था। इस मामले में शनिवार को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, जो अस्पताल परिसर में अक्सर आने वाला एक बाहरी व्यक्ति था।
जूनियर चिकित्सकों ने राज्य सरकार को दोषियों पर मुकदमा त्वरित गति से चलाने और घोष को हटाने के लिए कहा था।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सेमिनार हॉल के पास लगे सीसीटीवी की फुटेज सार्वजनिक करने की भी मांग की है।
राज्य सरकार ने मरीजों की भीड़ से निपटने के लिए सभी वरिष्ठ चिकित्सकों की छुट्टी रद्द कर दी है क्योंकि सोमवार को आमतौर पर बाह्यरोग विभागों में बड़ी संख्या में मरीज आते हैं।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘हमारे वरिष्ठ चिकित्सक ड्यूटी पर हैं और हम उम्मीद करते हैं कि वे मरीजों की भीड़ से निपट लेंगे। उन्हें स्थिति सामान्य होने तक काम करने का निर्देश दिया गया है।’’
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