Mucormycosis: विशेषज्ञों की सलाह- फंगस के रंग से घबराएं नहीं, कारण और जोखिमों की ओर ध्यान दें
पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों से रोगियों में ब्लैक फंगस के अलावा व्हाइट फंगस और यलो फंगस के भी मामले सामने आये हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये दोनों भी म्यूकरमाइकोसिस हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि ‘ब्लैक, ग्रीन या यलो फंगस’ जैसे नामों का इस्तेमाल करने से लोगों के बीच डर पैदा हो रहा है.
नई दिल्ली: कोविड-19 (Covid-19) रोगियों और संक्रमण से उबर चुके लोगों में म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मामलों के बीच विशेषज्ञों ने मंगलवार को लोगों को सलाह दी कि फंगस के रंग से नहीं घबराएं, बल्कि संक्रमण के प्रकार, इसके कारण और इससे होने वाले खतरों पर ध्यान देना जरूरी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Harsh vardhan) ने सोमवार को कहा था कि 18 राज्यों में म्यूकरमाइकोसिस के 5,424 मामले आए हैं जो कोविड-19 के रोगियों या इससे स्वस्थ होने वाले लोगों में पाया जाने वाला खतरनाक संक्रमण है. Black Fungus: देश के 18 राज्यों में ब्लैक फंगस के 5,424 मामले, गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे अधिक केस
पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों से रोगियों में ब्लैक फंगस के अलावा व्हाइट फंगस और यलो फंगस के भी मामले सामने आये हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ये दोनों भी म्यूकरमाइकोसिस हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि ‘ब्लैक, ग्रीन या यलो फंगस’ जैसे नामों का इस्तेमाल करने से लोगों के बीच डर पैदा हो रहा है.
उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘आम लोगों के लिए, मैं कहूंगा कि काले, पीले या सफेद रंग से दहशत में नहीं आएं. हमें पता लगाना चाहिए कि रोगी को किस तरह का फंगल संक्रमण हुआ है. जानलेवा या खतरनाक रोग पैदा करने वाला अधिकतर फंगल संक्रमण तब होता है जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.’’
पांडा ने कहा, ‘‘इसलिए मूल सिद्धांत यही है कि फंगल संक्रमण से लड़ने की क्षमता या प्रतिरक्षा प्रणाली कैसी है.’’ गाजियाबाद में एक निजी अस्पताल के एक डॉक्टर ने दावा किया कि 24 मई को उनके यहां एक रोगी में ब्लैक, व्हाइट और यलो तीनों तरह के फंगस संक्रमण का पता चला.
शहर के राजनगर इलाके में स्थित हर्ष अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ बी पी त्यागी ने दावा किया कि छिपकलियों जैसे सरीसृपों में यलो फंगस देखा गया है, लेकिन मनुष्यों में अब तक इसके मामले देखने में नहीं आये. उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘मरीज अत्यंत कमजोरी, बुखार और नाक बहने जैसे लक्षणों के साथ मेरे पास आया था। एंडोस्कोपी में यलो फंगस दिखाई दी.’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)