इंदौर (मध्यप्रदेश), 17 अप्रैल देश में कोरोना वायरस संक्रमण के "हॉटस्पॉट" बने इंदौर में जिला प्रशासन के एक शीर्ष अफसर ने शुक्रवार को संदेह जताया कि जनवरी और फरवरी के दौरान हवाई रास्ते से आये यात्रियों के जरिये शहर में इस महामारी का प्रसार हुआ।
जिलाधिकारी मनीष सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, "ऐसा लग रहा है कि मुख्य रूप से यह वायरस स्थानीय हवाई अड्डे पर जनवरी-फरवरी में उतरने वाली यात्री उड़ानों से ही आया है जिससे शहर में यह स्थिति बनी है। इन्हीं उड़ानों से उतरे यात्रियों की वजह से ये चीजें (संक्रमण का फैलाव) हुई हैं।"
गौरतलब है कि जनवरी-फरवरी में सूबे में कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार का राज था और सिंह, इंदौर के जिलाधिकारी के रूप में पदस्थ नहीं थे।
उन्होंने कहा, "चूंकि मैं उस समय इंदौर में पदस्थ नहीं था। इसलिये मुझे पता नहीं है कि तब क्या निर्देश दिये गये थे। लेकिन मेरा मानना है कि हवाई मार्ग से विदेश से लौटने वाले 5,000 से 6,000 यात्रियों की स्थानीय हवाई अड्डे पर उचित स्क्रीनिंग होनी चाहिये थी।"
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि हवाई रास्ते से विदेश से लौटे यात्रियों को नियत अवधि तक घर में ही रहने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के दिये गये परामर्श को "सख्ती से" लागू कराया जाना चाहिये था।
सिंह ने विशिष्ट ब्योरा दिये बगैर कहा कि जनवरी-फरवरी में शहर में कुछ आंदोलन भी चल रहे थे, जिनमें बाहरी स्थानों के कई लोग शामिल हुए थे।
अधिकारियों ने बताया कि जनवरी-फरवरी के दौरान चीन और अन्य देशों में कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर बड़ी संख्या में यात्री इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे थे। इनमें मध्यप्रदेश मूल के उन लोगों का बाहुल्य था जो पढ़ाई, उद्यम और रोजगार के चलते विदेश में रह रहे थे।
अधिकारियों द्वारा शुक्रवार सुबह तक की स्थिति में इंदौर जिले में कोविड-19 के 842 मरीज मिलने और इस महामारी से 47 लोगों की मौत की जानकारी दी गयी है। आंकड़ों की गणना से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 5.58 प्रतिशत थी जो राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है।
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