Decline in Oilseeds Business: विदेशों में कमजोरी के बीच तेल तिलहन कारोबार में गिरावट का रुख

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली बाजार में बृहस्पतिवार को तेल-तिलहन कीमतों में नरमी देखने को मिली। सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट रही जबकि मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

Oilseeds (Photo Credit: Pixabay)

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल: विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली बाजार में बृहस्पतिवार को तेल-तिलहन कीमतों में नरमी देखने को मिली. सरसों, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट रही जबकि मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे. यह भी पढ़ें: 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, Fitment Factor बढ़ने के बाद इतनी बढ़ जाएगी सैलरी

मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट थी जबकि शिकागो एक्सचेंज कल रात दो प्रतिशत टूटा था और फिलहाल यहां आधा प्रतिशत की गिरावट है. बाजार सूत्रों ने कहा कि पूरे देश में मंडियों में लगभग 12.50 लाख बोरी सरसों की आवक हुई है जबकि राजधानी में तेल तिलहन की दो मंडियां हैं- नजफगढ़ और नरेला। नरेला में 20 वर्षो के बाद सरसों की लगभग 500-600 बोरी की आवक हुई जबकि नजफगढ़ में 2,500 सरसों बोरी की आवक हुई.

इन मंडियों में आढ़तियों ने 5,450 रुपये प्रति क्विन्टल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले सरसों की खरीद 4,800-4,900 रुपये क्विन्टल के भाव से की. ठीक राजधानी में ऐसा होना देश के तिलहन किसानों की दुर्दशा को दर्शाता है.

दिलचस्प बात यह शिकायत मिलना है कि ये सरसों खरीद के बाद हरियाणा जा रहा है. अगर यही हाल बना रहा तो सरसों का हाल भी सूरजमुखी जैसा हो सकता है और तब सरकार 10,000 रुपये क्विन्टल भी एमएसपी तय कर दे फिर भी किसान सूरजमुखी की तरह इसे बोने से बचेंगे. इस बात को संज्ञान में लेने और जांच करने की आवश्यकता है.

सूत्रों ने कहा कि राजधानी दिल्ली में और तमाम तेल संगठनों के रहते हुए, एमएसपी से नीचे सरसों बिक रहा हो और सबकी चुप्पी हो, इसका कारण समझ से परे है. उन्होंने कहा कि सस्ते आयातित तेलों का देश में भारी मात्रा में आयात हो चुका है. स्थिति यह है कि स्थितियों का लाभ लेने के लिए उत्तरी भारत में भी सूरजमुखी तेल का जबर्दस्त मात्रा में आयात कर लिया गया है जबकि इस तेल की ज्यादातर खपत महाराष्ट्र और कुछ दक्षिणी राज्यों में होती है. सरकार को ऐसे आयात को नियंत्रित करने के लिए डम्पिंगरोधी शुल्क लगाने पर भी विचार करना चाहिये.

बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,215-5,310 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल.

मूंगफली - 6,790-6,850 रुपये प्रति क्विंटल.

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,660 रुपये प्रति क्विंटल.

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,535-2,800 रुपये प्रति टिन.

सरसों तेल दादरी- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल.

सरसों पक्की घानी- 1,615-1,685 रुपये प्रति टिन.

सरसों कच्ची घानी- 1,615-1,735 रुपये प्रति टिन.

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,800 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,150 रुपये प्रति क्विंटल.

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल.

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल.

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल.

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल.

सोयाबीन दाना - 5,375-5,425 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन लूज- 5,125-5,225 रुपये प्रति क्विंटल.

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल.

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