जालना (महाराष्ट्र), 12 जुलाई मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में 57 लाख और पड़ोसी राज्य तेलंगाना के हैदराबाद में 5000 समर्थन करने वाले दस्तावेज पाए जाने के बावजूद महाराष्ट्र सरकार मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र जारी नहीं कर रही है और समुदाय को विभाजित करने की साजिश कर रही है।
जालना में एक रैली को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा कि वह तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कि समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग के तहत आरक्षण नहीं मिल जाता और राज्य सरकार के ‘रक्त संबंधी’ (जन्म या शादी से संबंधित) से जुड़ी अधिसूचना को लागू नहीं कर दिया जाता।
मराठाओं को आरक्षण का लाभ प्रदान करने के लिए इस अधिसूचना और अन्य कदमों का ओबीसी नेताओं ने विरोध किया है जिनका दावा है कि इन कदमों से उनके हिस्से का लाभ कम हो जाएगा।
जरांगे ने कहा, ‘‘राज्य सरकार को महाराष्ट्र में 57 लाख और हैदराबाद में 5,000 दस्तावेज मिले हैं, जो साबित करते हैं कि मराठा कुनबी हैं। इसके बावजूद सरकार बहाने बना रही है और जानबूझकर आरक्षण नहीं दे रही है। राज्य सरकार मराठा आंदोलन को कमजोर करने के लिए समुदाय को विभाजित करने की साजिश कर रही है।’’
जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए उनकी 13 जुलाई की समय सीमा बरकरार है और इससे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक आंदोलन के उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते, वह चैन से नहीं बैठेंगे।
जरांगे ने दावा किया, ‘‘पिछली भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने मराठों को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया और फिर इसे घटाकर 13 प्रतिशत कर दिया। वर्तमान सरकार ने केवल 10 प्रतिशत दिया है। यह कानूनी जांच में टिक नहीं पाएगा और इसलिए हम ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस पार्टी मराठा समुदाय से झूठे वादे कर रही हैं।’’
उन्होंने राज्य के मंत्री और भाजपा नेता गिरीश महाजन की यह कहने के लिए आलोचना की कि ‘रक्त संबंध’ (सेज सोयारे) से जुड़ी अधिसूचना अदालत में टिक नहीं पाएगी और आरोप लगाया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मंत्री छगन भुजबल जातिवादी राजनीति में लिप्त हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भुजबल ने उस घटना की साजिश रची, जिसमें अंतरवाली सराटी के पास वाडी गोदोदरी में ओबीसी कार्यकर्ताओं पर पथराव किया गया और मराठाओं के साथ टकराव पैदा करने की साजिश थी।
भुजबल इन दावों का नियमित रूप से खंडन करते रहे हैं। जरांगे ने दावा किया कि भुजबल ने शिवसेना में रहते हुए उसका नुकसान किया, फिर राकांपा में रहते हुए उसका भी नुकसान किया। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा उनके साथ लगातार क्यों जुड़ी हुई है।
जरांगे ने एक बार फिर दोहराया कि उनकी मंशा राजनीति में आने की नहीं है और ‘‘आरक्षण के लिए उनका संघर्ष गंभीर है।’’
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