देश की खबरें | सार्वजनिक उपक्रमों से एजीआर की बकाया राशि की दूरसंचार विभाग की मांग पूरी तरह अनुचित : न्यायालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से समेकित सकल आय (एजीआर) की बकाया राशि के रूप में चार लाख करोड़ रुपए की दूरसंचार विभाग की मांग को बृहस्पतिवार को पूरी तरह अनुचित करार दिया और कहा कि विभाग को इसे वापस लेने पर विचार करना चाहिए।
नयी दिल्ली, 11 जून उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से समेकित सकल आय (एजीआर) की बकाया राशि के रूप में चार लाख करोड़ रुपए की दूरसंचार विभाग की मांग को बृहस्पतिवार को पूरी तरह अनुचित करार दिया और कहा कि विभाग को इसे वापस लेने पर विचार करना चाहिए।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये सरकार द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों से की गयी इस मांग पर सवाल उठाये। पीठ ने कहा कि इस मामले में उसके फैसले की गलत व्याख्या की गयी है क्योंकि इन पर एजीआर के आधार पर बकाया राशि के मुद्दे पर न्यायालय ने विचार नहीं किया था।
पीठ ने सार्वजिनक उपक्रमों से की गयी मांग पर टिप्पणी करते हुये कहा, ‘‘यह पूरी तरह अनुचित है।’’
दूरसंचार विभाग की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह एक हलफनामा दायर कर स्पष्ट करेंगे कि सार्वजनिक उपक्रमों से समेकित सकल आय के आधार पर मांग क्यों की गयी है।
पीठ ने निजी संचार कंपनियों से कहा कि वे भी हलफनामे दााखिल कर बतायें कि वे समेकित सकल आय की बकाया राशि का भुगतान किस तरह करेंगे।
शीर्ष अदालत ने 18 मई को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य मोबाइल सेवा प्रदाताओं को दूरसंचार विभाग को देय बकाया राशि का स्वत: आकलन करने पर आड़े हाथ लिया था। न्यायालय ने कहा था कि उन्हें ब्याज के साथ बकाया राशि का भुगतान करना होगा। एक अनुमान के अनुसार यह राशि 1.6 लाख करोड़ रूपए है।
शीर्ष अदालत ने सरकार को देय बकाया राशि का पुन: आकलन करने की इन कंपनियों को अनुमति देने के लिये दूरसंचार विभाग को भी फटकार लगायी थी। न्यायालय ने कहा था कि राजस्व की गणना के मामले में उसका 24 अक्टूबर 2019 का आदेश अंतिम है।
अनूप
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