ताजा खबरें | रास में उठी अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को सामान्य मतदाता के तौर पर पंजीकृत करने की मांग

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने शुक्रवार को मांग की कि अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को अधिक से अधिक संख्या में सामान्य मतदाता के तौर पर पंजीकृत करना चाहिए, उन्हें पंजीकरण के बारे में जागरुक करना चाहिए ताकि लोकतंत्र के विकास में उनकी भागीदारी बढ़े।

उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य जी वी एल नरसिम्हा राव ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देश में अर्द्धसैनिक बलों की संख्या 14 लाख से अधिक है, वह देश की रक्षा करते हैं, ‘‘उन पर हमें गर्व है और हम उनका सम्मान करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सभी सैन्य बलों को 2016 एक निबंधन के तहत सामान्य मतदाता के तौर पर पंजीकृत करने का प्रावधान किया था। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, यह नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में हुआ।

नरसिम्हा राव ने कहा कि विशाखापटनम स्थित पूर्वी नौसेना कमान में करीब 35 हजार सैनिक वहां तैनात हैं और उनके परिवार के सदस्य भी वहां रहते हैं। उन्होंने कहा कि वहां करीब 60 हजार लोग मतदान कर सकते हैं लेकिन 15 से 20 हजार लोग ही मतदान करते है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि सैनिकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में पंजीकरण के लिए जागरुक किया जाना चाहिए ताकि उनकी लोकतंत्र के विकास में भागीदारी अधिक से अधिक हो।

भाजपा के ही एस सेल्वागणपति ने खाद्य उत्पादन से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन तो बढ़ रहा है लेकिन इसके रखने की भी व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में करीब आधा अनाज रखा जाता है और शेष को अन्य जगहों पर रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उचित रखरखाव के अभाव में बड़ी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है जबकि हमारे देश में कई लोग एक वक्त का भोजन भी मुश्किल से जुटा पाते हैं।

सेल्वागणपति ने कहा कि यही स्थिति फलों और सब्जियों की है जिनका उत्पादन तो बहुतायत में होता है लेकिन कोल्ड स्टोरेज के अभाव में फल और सब्जियां खराब हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार को अनाज रखने के लिए पर्याप्त संख्या में गोदामों की तथा कोल्ड स्टोरेज की युद्ध स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इन्हें खराब होने से बचाया जा सके।

माकपा सदस्य जॉन ब्रिटस ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्र है लेकिन हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि हम हिन्दी को आधिकारिक उद्देश्य तक रखें, उसे उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययन की न बनाएं।

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