नयी दिल्ली, 17 जनवरी : शोध आधारित चिकित्सा प्रौद्योगिकी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमताई) ने आयातित चिकित्सा उपकरणों को किफायती बनाने के लिए वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) से मूल सीमा शुल्क को घटाकर 2.5 प्रतिशत करने और स्वास्थ्य उपकर को हटाने का आग्रह किया है. संगठन ने इस बारे में हाल में वित्त मंत्रालय को प्रतिवेदन दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) संसद में एक फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करेंगी. एमताई के चेयरमैन और वायगोन इंडिया के प्रबंध निदेशक पवन चौधरी ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘चीजों को किफायती बनाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है. लेकिन, भारत उन देशों में शामिल है, जहां चिकित्सा उपकरणों पर लागू सीमा शुल्क और कर दुनिया में सबसे ज्यादा है. इससे मरीज प्रभावित होते हैं और उन्हें अधिक भुगतान करना होता है.’’ उन्होंने कहा कि हमने वित्त मंत्रालय से आयातित सभी चिकित्सा उपकरणों के लिए मूल सीमा शुल्क घटाकर 2.5 प्रतिशत करने का आग्रह किया है.
यह वर्तमान में ज्यादातर उपकरणों के मामले में औसतन 7.5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के बीच है. स्वास्थ्य उपकर, जीएसटी दर और अन्य कर मिलाकर यह औसतन 27.6 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक बैठता है. उल्लेखनीय है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में वर्तमान में 80 प्रतिशत चिकित्सा उपकरणों का आयात किया जाता है. संगठन ने आयातित चिकित्सा उपकरणों पर लगने वाला पांच प्रतिशत स्वास्थ्य उपकर भी हटाने की मांग की है. चौधरी ने कहा, ‘‘ अतिरिक्त कर से न केवल देश में आने वाले अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों तक पहुंच में कमी आने का जोखिम है, बल्कि मरीजों को इन अतिरिक्त लागत का खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा. इसका असर मंहगाई पर भी पड़ेगा.’’ एमताई के निदेशक और बॉस्च एंड लैम्ब के प्रबंध निदेशक संजय भूटानी ने कहा, ‘‘माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के साथ-साथ सीमा-शुल्क और स्वास्थ्य उपकर की ऊंची दर मरीजों के साथ-साथ उद्योग के लिए भी नुकसानदेह हैं. ऐसे सभी चिकित्सा उपकरणों के लिए मूल सीमा-शुल्क की दर को कम करके 2.5 प्रतिशत तक लाने की जरूरत है.“ यह भी पढ़ें : असम: नाव से माजुली के लिए रवाना होने के साथ ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ फिर से शुरू हुई
एमताई ने अंतरिम बजट पेश होने से पहले वित्त मंत्रालय को सौंपे अपने प्रतिविदेन में मूल सीमा शुल्क में कमी और मूल्यानुसार लगने वाले स्वास्थ्य उपकर को समाप्त करने के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में मांग-आपूर्ति अंतर को पाटने के लिए सार्वजनिक खर्च और कौशल विकास बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को जीएसटी के तहत छूट श्रेणी से शून्य शुल्क दर स्तर पर लाने का आग्रह किया है. संगठन ने साथ ही ‘डे केयर सर्जरी’ और घरेलू स्वास्थ्य देखभाल को भी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में शामिल करने का आग्रह किया है. चौधरी ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं केंद्रीय बजट को तैयार करते समय वित्त मंत्री शुल्क दरों में कटौती समेत अन्य मांगों पर गौर करेंगी और इसे अमल में लाया जाएगा.’’