नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार चौथे दिन बृहस्पतिवार को खराब रही और फिलहाल किसी सुधार की संभावना भी नहीं है। निगरानी एजेंसियों ने यह बात कही है।
शाम चार बजे शहर का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 256 रहा जबकि बुधवार को यह 243 और मंगलवार को 220 था।
गाजियाबाद का एक्यूआई 235, फरीदाबाद का एक्यूआई 254, गुरूग्राम का एक्यूआई 230, नोएडा का एक्यूआई 191 और ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 260 रहा।
केंद्र की दिल्ली वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार शहर की वायु गुणवत्ता अगले तीन-चार दिनों के दौरान ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ के बीच रहने की संभावना है।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
सरकार ने वाहन प्रदूषण पर रोकथाम के लिए बृहस्पतिवार को एक अभियान भी शुरू किया। एक साल पहले उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने ऐसे ही अभियान की प्रभावोत्पादकता पर सवाल उठाते हुए उसे रोक दिया था।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान दवारा 2019 में कराया गया एक अध्ययन बताता है कि यातायात सिग्नलों पर इंजन चलते रखने पर प्रदूषण स्तर में नौ प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। दिल्ली में पिछले कुछ सालों में उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन पर कराये गये अध्ययनों से पता चला कि वाहनों से जो धुंआ निकलता है , उसका हिस्सा पीएम 2.5 उत्सर्जन में नौ प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक होता है।
मई के बाद पहली बार रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गयी थी। उसकी मुख्य वजह तापमान में गिरावट और हवा की रफ्तार है , फलस्वरूप प्रदूषक जमा हो गये।
दिल्ली पदूषण नियंत्रण समिति के विश्लेषण के अनुसार एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण शीर्ष पर पहुंच जाता है जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं शिखर पर पहुंच जाती हैं।
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