नयी दिल्ली, 23 अगस्त राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के एक मामले में सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा कि ‘प्रथम दृष्टया’ यह मानने के आधार हैं कि उन्होंने जुर्म किया है।
अदालत ने पांच आरोपियों को ‘पूरी तरह से आरोप मुक्त’ करते हुए कहा कि उनके खिलाफ ‘कोई ठोस सबूत’ नहीं हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) अमिताभ रावत 12 लोगों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसपर उस भीड़ का हिस्सा होने का आरोप है जिसने 24 फरवरी 2020 को ब्रह्मपुरी इलाके में विनोद कुमार नामक शख्स पर हमला कर उसकी हत्या कर दी थी। इन सभी पर कुछ अन्य लोगों की हत्या की कोशिश का भी आरोप था।
न्यायाधीश ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा, ‘‘मेरी राय में यह मानने का प्रथम दृष्टया आधार है कि अरशद, रईस अहमद, मोहम्मद सगीर, मेहताब, गुलजार, मोहम्मद इमरान और अमीरुद्दीन मलिक ने अपराध किया है।’’
एएसजे रावत ने कहा कि सात आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश), 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस होना), 149 (अवैध रूप से जमा होना), 188 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश को न मानना), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 435 (100 रुपये या इससे ज्यादा की राशि का नुकसान पहुंचाने की मंशा से अग्नि या विस्फोटक से शरारत) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गवाहों के बयान आरोप पत्र की सामग्री का समर्थन कर रहे हैं।
अदालत ने कहा कि आरोपियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, , आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने) और धारा 505 (सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने वाला बयान) के तहत ‘अलग से अपराध’ किया है।
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