देश की खबरें | दिल्ली दंगे : अदालत ने पुलिस को पूर्व जेएनयू छात्र उमर को प्राथमिकी की प्रति देने को कहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित उस मामले की प्राथमिकी की प्रति सौंपने का निर्देश दिया है, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित उस मामले की प्राथमिकी की प्रति सौंपने का निर्देश दिया है, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कानून की स्थापित स्थिति है कि किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए हिरासत में नहीं लिया जा सकता।

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अदालत ने संविधान और आपराधिक कानून के प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ सुरक्षा का मौलिक अधिकार अनुच्छेद 22 और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 50 में वर्णित है, बशर्ते पुलिस अधिकारी द्वारा संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तारी के लिए प्रासंगिक आधारों के बारे में सूचित किया जाए।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र खालिद को खजूरी खास इलाके में हुए दंगों से संबंधित मामले में एक अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। उससे पहले वह इस साल फरवरी में हुयी सांप्रदायिक हिंसा की साजिश से जुड़े एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में थे।

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अदालत ने पुलिस को उन्हें एक अक्टूबर के रिमांड आवेदन और आदेश की प्रति सौंपने का भी निर्देश दिया, जिसके द्वारा उन्हें तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया था। इसके अलावा पुलिस हिरासत के दौरान करायी गयी चिकित्सा जांच की रिपोर्ट भी देने को कहा गया है।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि रिमांड आवेदन और रिमांड आदेश और मेडिकल रिपोर्ट में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिसका खुलासा मामले की संवेदनशीलता के कारण या किसी अन्य वजह से नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 22 (1) में यह व्यवस्था है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी का कारण बताए बिना गिरफ्तार नहीं कर सकता है। इसके साथ ही संविधान का अनुच्छेद 22 गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ सुरक्षा के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है।

अदालत ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 में प्रावधान है कि बिना किसी वारंट के किसी को गिरफ्तार करने के अधिकार वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को उस अपराध तथा गिरफ्तारी के लिए प्रासंगिक आधार के बारे में सूचित करेगा, जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया जा रहा है।

अदालत खालिद के वकील द्वारा दायर एक आवदेन की सुनवाई कर रही थी, जिसमें खजूरी खास हिंसा मामले से संबंधित प्राथमिकी, रिमांड के लिए पुलिस के आवेदन, रिमांड आदेश और मेडिकल रिपोर्ट की प्रतियां मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है, ताकि गिरफ्तारी के आधार का पता चल सके।

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