नयी दिल्ली, 30 नवम्बर दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों से संबंधित हत्या के एक मामले में एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया वह उस ‘‘उपद्रवी भीड़’’ का कथित तौर पर हिस्सा था जिसने इलाके में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की थी।
यह मामला सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक स्थानीय व्यक्ति राहुल सोलंकी की हत्या से जुड़ा है।
संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच 24 फरवरी को झड़प हो गई थी। इस दौरान हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 200 अन्य घायल हुए थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने उत्तर पूर्व दिल्ली के दयालपुर क्षेत्र में उपद्रवी भीड़ की गोलीबारी में राहुल सोलंकी की मौत से संबंधित मामले में सोनू सैफी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि हालांकि सैफी रिकॉर्ड में उपलब्ध किसी भी सीसीटीवी कैमरा फुटेज में दिखाई नहीं दे रहा है। अदालत ने कहा कि पीड़ित के भाई रोहित सोलंकी, जो एक गवाह है, ने अपने बयान में न केवल आरोपी की उसके नाम से पहचान की है बल्कि ‘वेल्डर’ के रूप में उसके पेशे के बारे में भी बताया है।
अदालत ने कहा कि गवाह का बयान ‘‘कूड़ेदान में नहीं फेंका जा सकता।’’
सुनवाई के दौरान सैफी के वकील ने कहा कि उसे मामले में गलत फंसाया गया है और वह किसी भी सीसीटीवी कैमरा फुटेज में दिखाई नहीं दे रहा है।
पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मामले की जांच चल रही है और ‘‘उपद्रवी भीड़’’ का कथित तौर पर हिस्सा रहे कई लोगों की अभी पहचान की जानी है और उन्हें गिरफ्तार किया जाना है और यदि सैफी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह मामले में गवाहों को धमकी दे सकता है।
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