नयी दिल्ली, नौ जुलाई दिल्ली मंत्रिमंडल ने शहर में किसी विशेष स्थान पर वास्तविक समय में वायु प्रदूषण में वृद्धि के पीछे के कारकों की पहचान करने में मदद करने के वास्ते एक अध्ययन करने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) -कानपुर, आईआईटी-दिल्ली, ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) मोहाली की एक टीम द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में ‘रीयल-टाइम सोर्स अपॉइंटमेंट’ परियोजना को क्रियान्वित किया जाएगा।
प्रदूषण के स्रोत वाहन, धूल, ताप विद्युत संयंत्र, पराली को जलाना और उद्योगों से उत्सर्जन हो सकते हैं। किसी विशेष स्थान पर प्रदूषण के एक या अधिक स्रोत हो सकते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सूत्रों की पहचान कर प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जा सकती है। दिल्ली सरकार ने 2018 में 18 महीने की अवधि में इस अध्ययन का संचालन करने के लिए वाशिंगटन विश्वविद्यालय से हाथ मिलाया था।
अगले दो वर्षों में किए जाने वाले नए अध्ययन पर सरकार द्वारा 12 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है।
पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उपकरणों से लैस एक मोबाइल प्रयोगशाला दिल्ली के विभिन्न इलाकों की छानबीन करेगी। उन्होंने कहा कि एक ‘सुपरसाइट’ होगी, जहां आंकड़ा एकत्र किया जाएगा और आवश्यक कार्यवाही के लिए व्याख्या की जाएगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के हवाले से एक बयान में कहा गया है, ‘‘दिल्ली सरकार सबसे पहले वायु प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने और वास्तविक समय पर निगरानी करने के लिए एक अध्ययन शुरू करेगी।’’
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