नयी दिल्ली, 11 मई दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी)ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार के उन फैसलों को सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रह रहे वकीलों को राष्ट्रीय राजधानी स्थित कार्यालय और अदालत आने के लिए सीमा पार करने पर पाबंदी लगाई गई है।
बीसीडी के अध्यक्ष और अधिवक्ता केसी मित्तल के जरिये मामले की अविलंब सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया और इस हफ्ते इसके सूचीबद्ध होने की उम्मीद है।
याचिका में एक मई के केंद्र सरकार के आदेश का उल्लेख किया गया है जिसमें लॉकडाउन के दौरान निजी कार्यालयों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है और कहा कि नोएडा और गुरुग्राम के वकील भी राष्ट्रीय राजधानी की यात्रा करने और अपने कार्यालयों का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत हैं।
याचिका वकील अमित प्रकाश शाही के जरिये दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि आठ मई को दिल्ली सरकार ने बयान जारी किया, इसके मुताबिक चार्टर्ड अकाउंटेंट और वकीलों को उनके कार्यालयों में जाने से नहीं रोका जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया, ‘‘ उत्तर प्रदेश और हरियाणा के विभिन्न शहरों में रहने वाले वकील दिल्ली में प्रवेश करने और अपने कार्यालय में कार्य करने के लिए अधिकृत हैं और संबंधित सरकारें, उनके अधिकारी और एजेंट वकीलों को सीमा पार करने और घर से कार्यालय आने जाने से नहीं रोकें।
याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘वकीलों को वादी संख्या दो (उत्तर प्रदेश सरकार) और वादी संख्या तीन (हरियाणा सरकार) के अधिकारियों और प्रशासन द्वारा सीमा पार करने से रोकना संविधान के अनुच्छेद-19 (1)(डी)में प्रदत्त मौलिक अधिकारों और अनुच्छेद-301 (कारोबार करने की आजादी) का उल्लंघन है और उनकी कार्रवाई मनमानीपूर्ण और पूरी तरह से गैरकानूनी है।’’
याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह एनसीआर के विभिन्न शहरों से वकीलों को उनके पहचान पत्र के आधार पर दिल्ली आने और जाने की अनुमति देने का निर्देश दे।
उल्लेखनीय है कि हाल में दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर एनसीआर सीमा में रह रहे वकीलों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
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