देश की खबरें | दिल्ली पुरातत्व विभाग लोधी काल के स्मारक के जीर्णोद्धार के लिए योजना बनाए : न्यायालय

नयी दिल्ली, 21 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि लोधी काल के स्मारक “शेख अली की गुमटी” को संरक्षित किया जाना चाहिए और दिल्ली के पुरातत्व विभाग को उस स्थल का दौरा करने और जीर्णोद्धार योजना तैयार करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन (डीसीडब्ल्यूए) को दो सप्ताह के भीतर भूमि एवं विकास कार्यालय को “शांतिपूर्ण” तरीके से उक्त जगह का कब्जा सौंपने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को तीन सप्ताह के भीतर जीर्णोद्धार योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

पीठ ने यह आदेश स्वप्ना लिडल द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पारित किया, जो भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट की दिल्ली शाखा की पूर्व संयोजक हैं।

न्यायालय ने लिडल को भवन का सर्वेक्षण और निरीक्षण करने तथा स्मारक को हुए नुकसान और उसके जीर्णोद्धार की सीमा का पता लगाने के लिए नियुक्त किया था।

नवंबर, 2024 में पीठ ने डिफेंस कॉलोनी में स्मारक की सुरक्षा करने में विफल रहने के लिए एएसआई की खिंचाई की थी, जबकि सीबीआई ने बताया था कि एक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन 15वीं सदी की इस संरचना का अपने कार्यालय के रूप में उपयोग कर रहा है।

आवासीय संघ को 1960 के दशक से संरचना पर कब्जा करने की अनुमति देने के लिए एएसआई की निष्क्रियता पर नाराज होकर पीठ ने कहा, “आप (एएसआई) किस तरह के प्राधिकारी हैं? आपका अधिदेश क्या है? आप प्राचीन संरचनाओं की रक्षा करने के अपने अधिदेश से पीछे हट गए हैं। हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं।”

न्यायालय ने आरडब्ल्यूए को फटकार लगाई, जिसने 1960 के दशक में 700 साल पुराने मकबरे पर कब्जा कर लिया था, तथा अपने कब्जे को यह कहकर उचित ठहराने के लिए कहा कि असामाजिक तत्व इसे नुकसान पहुंचा सकते थे।

शीर्ष अदालत डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अदालती निर्देश देने की मांग की गई थी।

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