जरुरी जानकारी | उच्च आयात शुल्क, कृषि क्षेत्र को खोलने के दबाव से निपटना खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी : रिपोर्ट

नयी दिल्ली, एक जनवरी चावल जैसी महत्वपूर्ण खाद्य उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क बनाए रखना और घरेलू बाजार को कम शुल्क के लिए खोलने के दबाव से निपटना देश को आत्मनिर्भर बनाए रखने और इसकी आबादी की खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है। सोमवार को एक रिपोर्ट में यह बात की गई।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत को बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को बढ़ावा देने और आयात खर्च कम करने के लिए आयातित वनस्पति तेलों पर अपनी निर्भरता कम करने की जरूरत है।

इसके लिए उपभोक्ताओं को आयातित तेलों के बदले सरसों, मूंगफली और चावल की भूसी जैसे स्थानीय रूप से उत्पादित तेलों के उपयोग के स्वास्थ्य लाभों के बारे में शिक्षित करने की जरूरत होगी।

भारत दुनिया में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। इसका आयात 2017-18 में 10.8 अरब अमेरिकी डॉलर से 2023-24 में दोगुना होकर 20.8 अरब डॉलर होने का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ वर्तमान में उत्पादन को अधिकतम करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करके आयात को हतोत्साहित करने के लिए उच्च शुल्क (या आयात शुल्क) और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी देकर कृषि का समर्थन करते हैं।

ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित और कृषि-निर्यातक देश हमेशा भारत जैसे विकासशील देशों पर अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि वस्तुओं पर शुल्क और सब्सिडी में कटौती करने का दबाव डालते हैं।

भारत ने कम आयात पर रोक लगाने के लिए उच्च आयात शुल्क (संवेदनशील वस्तुओं पर 30-100 प्रतिशत) तय किए हैं। भारत अपने एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) भागीदारों के लिए भी संवेदनशील वस्तुओं पर शुल्क में कटौती नहीं करता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि इससे भारत करीब सभी उत्पादों में आत्मनिर्भर हो गया है।

जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ यह हरित और श्वेत क्रांति जैसी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने उच्च आयात शुल्क और 1.4 अरब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा चिंताओं की रक्षा के लिए डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) में सक्रिय बातचीत और भारतीय कृषि को सब्सिडी आयात के लिए खोलने के विकसित देशों के दबाव में न आने से संभव हो पाया है।’’

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