नयी दिल्ली, 25 जुलाई मणिपुर हिंसा पर चर्चा की विपक्ष की मांग को लेकर मंगलवार को भी राज्यसभा में गतिरोध बना रहा और सरकार ने जोर दिया कि पूर्वोत्तर राज्य के साथ ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के विषय पर भी चर्चा होनी चाहिए।
उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे शुरू होने पर भी स्थिति पहले जैसी ही रही और विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर हिंसा पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की मांग करने लगे। विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब की भी मांग कर रहे थे।
हंगामे के बीच ही सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल चलाया और कुछ सदस्यों ने पूरक सवाल किए और संबंधित मंत्रियों ने उनके जवाब भी दिए।
प्रश्नकाल में ही नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संबंध में करीब 50 सदस्यों ने नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विपक्षी सदस्य चार दिन से लगातार चर्चा की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मणिपुर जल रहा है और वहां महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं और मकान जलाए जा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष मणिपुर की बात कर रहा है वहीं प्रधानमंत्री ईस्ट इंडिया कंपनी की बात कर रहे हैं।
खरगे की बात का प्रतिकार करते हुए सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि किसी भी महिला के साथ अत्याचार होता है तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार इस विषय के साथ छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं पर चर्चा चाहती है।
गोयल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है और गृह मंत्री स्थिति स्पष्ट करेंगे लेकिन विपक्ष चर्चा नहीं कर रहा क्योंकि वह अपनी विफलता को छिपाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध एक संवेदनशील विषय है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष संवेदनशील होता तो वह इस विषय पर तुरंत चर्चा करता। लेकिन वह चार दिन से समय की बर्बादी कर रहा है।
इस दौरान कई विपक्षी सदस्यों ने व्यवस्था के प्रश्न के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की।
सदन में व्यवस्था बनते नहीं देख सभापति ने 12 बजकर करीब 55 मिनट पर बैठक अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्ढा ने व्यवस्था के प्रश्न का हवाला देते हुए अपने दल के सदस्य संजय सिंह के निलंबन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सोमवार को जब संजय सिंह के निलंबन का प्रस्ताव लाया गया था तब उन्होंने इस पर मतदान की मांग की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय आंकड़े सत्ता पक्ष के साथ नहीं विपक्ष के साथ थे।’’
चड्ढा ने संजय सिंह के निलंबन पर एक बार फिर सदन में मतदान की मांग की। हालांकि सभापति धनखड़ ने उनकी मांग को खारिज कर दिया।
इसके बाद सभापति ने बताया कि कल एक सम्मानित सदस्य ने बहत सही बात कही थी कि नियम 267 को नियम 176 के मुकाबले प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘डेरेक ओ’ब्रायन ने बहुत ही सही बात उठाई थी। हम उसके अनुरुप आगे बढ़ेंगे। यह एक अच्छी और स्वस्थ परंपरा होगी।’’
सभापति ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग को लेकर कुल 51 नोटिस मिले हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर नोटिस मणिपुर की स्थिति पर हैं जबकि एक नोटिस ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित है।
नियम 267 के तहत नोटिस देने वाले सदस्य विपक्षी दलों के थे।
सभापति ने कहा कि उन्होंने मणिपुर हिंसा पर 20 जुलाई को नियम 176 के तहत मिले नोटिस स्वीकार कर लिए हैं और सरकार भी इस पर चर्चा को तैयार है।
उन्होंने कहा कि चूंकि नियम 176 के तहत मणिपुर पर चर्चा पर सहमति बन चुकी है और सरकार भी इसके लिए तैयार है, इसलिए वह नियम 267 के दिए गए नोटिस पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 176 के तहत आज तीन नोटिस मिले हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के किरोड़ी लाल मीणा और धनश्याम तिवाड़ी के नोटिस राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दे से संबंधित हैं जबकि तीसरा नोटिस छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मुद्दे से जुड़े हैं।
इस पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुद्दों पर चर्चा को तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इन मुद्दों पर गंभीर है क्योंकि ये संवेदनशील मुद्दे हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह विषय राजनीति से परे है।’’
इसी समय, कांग्रेस के सदस्य पी चिदंबरम ने कहा कि आज जो 51 नोटिस दिए गए हैं वह ताजा नोटिस है, इसलिए नियम 267 के तहत मिले नोटिस को स्वीकार कर मणिपुर पर चर्चा आरंभ करनी चाहिए।
सभापति धनखड़ इस दौरान कुछ बोलना चाह रहे थे तभी सत्ता पक्ष के सदस्यों ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा शुरु कर दिया। विपक्षी सदस्य मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने को लेकर हंगामा कर रहे थे।
हंगामा बढ़ता देख धनखड़ ने 11 बजकर 19 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में अभी तक गतिरोध बना हुआ है। सोमवार को सत्ता पक्ष की ओर से लाये गये एक प्रस्ताव पर आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को वर्तमान सत्र के शेष हिस्से के लिए निलंबित करने के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी थी।
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